खरगोन। सरकारी सामान किस तरह प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ता है, इसका एक उदाहरण खरगोन में देखने को मिला. जहां एक दशक पहले शहर से 11 किलोमीटर दूर बनी हवाई पट्टी पर बनाया गए पायलट ट्रेनिंग सेंटर का सामान कबाड़ में तब्दील हो गया है, लेकिन जिम्मेदारों ने इसकी देखरेख करना तक मुनासिब नहीं समझा.
कबाड़ बन गया पायलट ट्रेनिंग सेंटर तकनीकी कारणों से बंद हो गया पायलट ट्रेनिंग सेंटर
दस साल पहले खरगोन की इस हवाई पट्टी पर एक पायलट ट्रेनिंग सेंटर खोला गया था. जहां ट्रेनिंग के लिए तीन प्लेन भी लाए गए थे. लेकिन ये ट्रेनिंग सेंटर कुछ तकनीकी वजहों से बंद कर दिया गया. बंद होने के बाद इस ट्रेनिंग सेंटर की देखरेख की जहमत तक प्रशासन ने नहीं उठाई. लिहाजा पायलट ट्रेनिंग सेंटर परिसर में खड़े तीन मिनी प्लेन की हालत बदतर हो गई है. बदमाश इन प्लेनों का सामान चुराकर ले गए. प्लेन के दरवाजों से लेकर अंदर की सीटें, मशीनरी का सामान पूरी तरह से गायब हो चुका है. ट्रेनिंग सेंटर के कमरों में भी रखा कीमती सामान भी चोरी हो गया.
मौज मस्ती का अड्डा बना पायलट ट्रेनिंग सेंटर मौज मस्ती की जगह बन गई हवाई पट्टी
अब यह जगह स्थानीय लोगों की मौजमस्ती का ठिकाना बन गया है. जब ईटीवी भारत ने हवाई पट्टी पर बने इस पायलट ट्रेनिंग सेंटर का निरीक्षण किया तो यहां के मैदान में मवेशी घास चरते नजर आए, कुछ आदिवासी महिलाएं उत्सुकतावश इन प्लेनों में बैठकर देख रही थी तो आसपास के युवा इन प्लेनों पर चढ़कर फोटोग्राफी कर रहे थे. जब उनसे बात की गई तो बताया कि यहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. प्रशासन ने इसकी देखरेख के लिए कोई इंतजाम नहीं किया है.
उड्डयन विभाग के पास थी देखरेख की जिम्मेदारी
जब इस मामले में एसडीएम अभिषेक सिंह से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने अनौपचारिक चर्चा में बताया कि बताया कि हवाई पट्टी और पायलट ट्रेनिंग सेंटर की देखरेख का जिम्मा उड्डयन विभाग को सौंपा गया था. जिला प्रशासन ने ट्रेनिंग सेंटर की सुरक्षा के लिए उड्डयन विभाग को तीन बार पत्र भी लिखा. लेकिन उड्डयन विभाग इसकी देखरेख की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया.
खास बात ये है कि खरगोन की ये हवाई पट्टी बहुत पुरानी है, इस पर कई राजनीतिक हस्तियों और बड़े नेताओं के हेलिकॉप्टर भी उतर चुके हैं, लेकिन वर्तमान में इसकी सुरक्षा के लिए कोई चौकीदार तक नहीं है. जिला प्रशासन ने भी इसकी सुरक्षा व्यवस्था से हाथ खींच लिए है तो उड्डयन विभाग इसकी सुरक्षा पर ध्यान नहीं दे रहा है. ऐसे में प्रशासनिक लापरवाही के चलते ये ट्रेनिंग सेंटर कबाड़ बन चुका है.