खरगोन। जिले की ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी महेश्वर में मां नर्मदा के आंचल किनारे मां अहिल्या का होलकर वंश का किला अपने आप में मनमोहक दृश्य निर्मित करता है. जो लोगों को आकर्षित भी करता है. कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन के बाद से घाटों पर पसरा सन्नाटा अब अनलॉक-4 के बाद खरगोन के आसपास के अन्य जिलों के लोग अब कोरोना की तनावभरी जिंदगी छोड़ अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे हैं.
इंदौर से अपने परिवार के साथ आई दीक्षा ने बताया कि महेश्वर को मां अहिल्या का शहर माना जाता है. यहां पर आकर्षक किला और कई मंदिर बनवाए हैं. बड़ी बात यह है कि यहां पर किले के पास नर्मदा नदी बहती है. जिसका किले से मां अहिल्या दर्शन करती थीं. महेश्वर काफी प्रसिद्ध जगह है. यहां फिल्मों की शूटिंग भी हुई है, जिससे यह प्रसिद्ध हुआ है.
यहां किले की नक्काशेदार आर्किटेक्चर देखने योग्य है. दीक्षा ने बताया कि मां अहिल्या के किले का आर्किटेक्चर देख कर लगता है कि उस समय कारीगर कितने कुशल होते थे, जिन्होंने नक्काशी की है. किले की दीवारें पुरानी हो चुकी हैं. इसे नया कर ताज महल की तरह संरक्षित करने की जरूरत है. जिससे आने वाली पीढ़ी को इसे जानने का मौका मिल सके.
एक अन्य पर्यटक सूर्यप्रकाश ने बताया कि महेश्वर पौराणिक नगरी है. यहां शहस्त्र धारा है. सहस्त्रबाहु राजा मान्धाता की मान्यता है, जिससे महेश्वर को पौराणिक नगरी कहा जाता है. यहां मां नर्मदा के किनारे सुकून ओर शांति मिलती है. ऐसा लगता है कि जीवन का अंत है. अपने भावों को मां नर्मदा की लहरों में बहा दें.