MP Seat Scan Bhagwanpura: 2008 में बनी भगवानपुरा विधानसभा सीट, एक बार BJP, दूसरी बार कांग्रेस, तो तीसरी बार निर्दलीय बना विधायक
एमपी के खरगोन जिले की आखिरी सीट भगवानपुरा विधानसभा अब तक किसी एक पार्टी की होकर नहीं रही. यहां एक बार बीजेपी, एक बार कांग्रेस और तीसरी बार निर्दलीय ने चुनाव जीता. ऐसे में दोनों ही पार्टी के लिए इस पर दूसरी बार काबिज होना चुनौतीपूर्ण है.
खरगोन। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान कभी भी हो सकता है. ऐसे में दोनों ही प्रमुख दल एक-एक विधानसभा सीट पर बड़ी ही बारीकी से उम्मीदवारों का चयन कर रहे हैं. बीजेपी ने अब तक तीन सीट घोषित कर दी. वहीं कांग्रेस तैयारी में जुटी है. बीजेपी ने खरगोन जिले की 6 विधानसभा सीट में से तीन पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, लेकिन भगवानपुरा विधानसभा सीट पर नाम का एनाउंस करना बाकी है. ये सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है. अभी इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी केदार चिड़ाभाई डावर का कब्जा है. डावर सही मायने में कांग्रेस के नेता हैं और जब उन्हें टिकट नहीं दिया तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर विधायकी हासिल की.
भगवानपुरा सीट पर डावर आदिवासी समुदाय का वर्चस्व: डावर आदिवासी समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं और भगवानपुरा विधानसभा सीट पर अनुसूचित जनजाति वर्ग का दबदबा है. एसटी वोटर्स के हाथ में ही यहां जीत-हार की चाबी होती है. आदिवासियों में से बारेला और भिलाला समुदाय के मतदाता सर्वाधिक हैं. इनके अलावा गुर्जर और यादव समाज के मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं. वर्ष 2018 के मुताबिक इस सीट पर 2 लाख 22 हजार 851 मतदाता हैं. इनमें पुरुष 1,12,864 और महिला वोटर्स 1,09,987 हैं. विधानसभा क्षेत्र में भगवानपुरा जनपद के अलावा सेगांव जनपद भी महत्व रखती है. दोनों बड़े क्षेत्र में डावर का नियंत्रण हैं. दावेदारों की बात करें तो भाजपा की तरफ जिला महामंत्री चंदर सिंह वास्कले और गजेंद्र पटेल के चेहरे प्रमुख हैं. वहीं कांग्रेस की तरफ से विधायक केदार डावर, पूर्व विधायक जमना सिंह सोलंकी का नाम आ रहे हैं.
भगवानपुरा सीट के मतदाता
क्षेत्र की बड़ी समस्याएं और राजनीतिक वायदे:भगवानपुरा में रोजगार बड़ा मुद्दा है. किसी बड़ी इंडस्ट्री के अभाव में आदिवासियों का पलायन जारी रहता है. शिक्षा के क्षेत्र में भगवानपुरा और सेगांव में उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज और अच्छे स्कूलों की कमी है. सेगांव क्षेत्र में नर्मदा सिंचाई परियोजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं भगवानपुरा- सिरवेल मार्ग की सड़क जर्जर है. इसके अलावा बिस्टान से सेंधवा तक सड़क मार्ग बार-बार खराब हो जाता है. स्वास्थ्य सेवाएं बद से बदतर हैं. 50 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां आज भी पेयजल के लिए निजी टैंकर बुलवाने पड़ते हैं.
भगवानपुरा विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास:2008 में परिसीमन के बाद भगवानपुरा विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. पहली बार इस विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख 47 हजार 4 मतदाता थे. इनमें से कुल वैध वोटों की संख्या 1 लाख 2678 थी. इस सीट से पहली बार बीजेपी ने जमना सिंह सोलंकी को उम्मीदवार बनाया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने केदार चिढ़ार भाई डाबर को उम्मीदवार बनाया. चुनाव में बीजेपी कैंडीडेट सोलंकी को 52309 वोट मिले और कांग्रेस के उम्मीदवार केदार चिढ़ार भाई डावर 36917 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. यह चुनाव बीजेपी ने 15392 वोटों से जीत लिए. 2013 के विधानसभा चुनाव में भगवानपुरा सीट पर मतदाताओं की संख्या बढ़कर 210722 हो गई. इसमें 1 लाख 52 हजार 446 ने वोटिंग की. इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने पुराने उम्मीदवार को बदलकर विजय सिंह को दिया. वहीं बीजेपी ने गजेंद्र सिंह को मैदान में उतारा. परिणाम कांग्रेस के पक्ष में गया. यह निर्णय सही साबित हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस के विजय सिंह को 67251 वोट मिले और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गजेंगरा सिंह को कुल 65431 वोट मिले. यह चुनाव कांग्रेस ने 1820 वोटों से जीत लिया. 2018 में भगवानपुरा विधानसभा सीट से दोनों ही पार्टी पर निर्दलीय प्रत्याशी भारी पड़ गया. इस बार इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार केदार चिदाभाई डावर जीते और विधायक बने. उन्हें कुल 73758 वोट मिले. दूसरे नंबर पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जमनासिंह सोलंकी रहे, जिन्हें कुल 64042 वोट मिले. यह चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी डावर ने बीजेपी से 9716 वोटों से जीत लिया.