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खरगोन की खूबसूरत वादियों में प्राकृतिक सौंदर्य की भरमार, अध्यात्म का भी बड़ा महत्व

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Published : Sep 26, 2020, 11:07 PM IST

पश्चिम निमाड़ के खरगोन में पर्यटन के क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं. यहां महेश्वर में देवी अहिल्याबाई होलकर का किला और नर्मदा घाट के अलावा रावेरखेड़ी में नर्मदा किनारे बाजीराव पेशवा की समाधि, ऊन में परमारकालीन मंदिर और महेश्वर से कुछ दूर सहस्त्र धारा के साथ ही कई पर्यटन स्थल हैं. आइए इनमें से कुछ पर्यटन स्थल के बारे में जानते हैं.

tourist destinations in khargone
खरगोन में पर्यटन

खरगोन।वैसे तो देश के हृदय स्थल मप्र में सांस्कृतिक विरासत दूर-दूर तक फैली हुई है, लेकिन प्रदेश के जिन स्थानों से मध्य प्रदेश की जीवन दायनी सरस सलिला मां नर्मदा गुजरी है, वहीं धर्म, आध्यात्म, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य की भरमार है. इसे में से एक है प्रदेश का निमाण क्षेत्र का खरगोन जिला जहां मां नर्मदा की विशेष कृपा है. ऐसे कई प्राकृतिक स्थल और प्राचीन मंदिर है, जो पर्यटकों और सैलानियों के लिए खास हैं. इनकी बदौलत निमाड़ की पहचान देश-विदेश तक होने लगी है.

खरगोन की खूबसूरती

महेश्वर बड़ा पर्यटन स्थल

खरगोन का सबसे महत्यपूर्ण पर्यटन स्थल महेश्वर है. महेश्वर को नर्मदा नगरी के रूप में जाना जाता है. कहा जाता है कि नर्मदा के सबसे सुंंदर घाट यही हैं. खरगोन से करीब 60 कि मी दूर नर्मदा नदी किनारे बसा यह नगर अपने प्राचीन नक्काशीदार किले, मंदिर व सुंदर घाट दार्शनिक स्थल के लिए प्रसिद्ध है. यहां की महेश्वरी साड़ी भी देश में प्रसिद्ध है. यहां तमाम दिग्गज फिल्म स्टार फिल्म की शूटिंग में आ चुके हैं.

देवी अहिल्याबाई की राजधानी रहा है

नर्मदा नदी के किनारे बसा खरगोन जिले का महेश्वरशहर के घटों में बने मंदिरों में राजराजेश्वर मंदिर प्रमुख है. आदिगुरु शंकराचार्य तथा पंडित मण्डन मिश्र का प्रसिद्ध शास्त्रार्थ यहीं हुआ था. इस शहर को महिष्मती नाम से भी जाना जाता था. कालांतर में यह महान देवी अहिल्याबाई होल्कर की भी राजधानी रहा है. देवी अहिल्याबाई होलकर के कालखंड में बनाए गए यहां के घाट सुंदर हैं और इनका प्रतिबिंब नदी में और खूबसूरत दिखाई देता है.

अहिल्याबाई के किले और महल से नर्मदा का अद्भुत नजारा

नर्मदा घाटों के ऊपर बने अहिल्याबाई के किले और महल से नर्मदा का नजारा बहुत अद्भुत होता है. नर्मदा नदी का सौंदर्य भी बेहद दर्शनीय होता है. महेश्वर में मां नर्मदा अलग रूप में दिखती है, यहां नदी की गहराई अन्य स्थानों की अपेक्षा कुछ ज्यादा है. इतना ही नहीं महेश्वर में नर्मदा का वेग भी ज्यादा है.

पर्यटन की अपार संभावनाएं
पश्चिम निमाड़ के खरगोन में पर्यटन के क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं. यहां महेश्वर में देवी अहिल्याबाई होलकर का किला और नर्मदा घाट के अलावा रावेड़खेड़ी में नर्मदा किनारे बाजीराव पेशवा की समाधि, ऊन में परमारकालीन मंदिर और महेश्वर से कुछ दूर सहस्त्र धारा के साथ ही कई पर्यटन स्थल है. आइयें इनमें से कुछ पर्यटन स्थल के बारे में जानते हैं.

  • वाटर स्पोर्ट के लिए सबसे उपयुक्त सहस्त्र धारा

सहस्त्र धारा का अर्थ है ‘एक हजार धाराएं’. कहा जाता है इस स्थान पर नर्मदा नदी पर धाराओं की संख्या लगभग उतनी ही है. सहस्त्रधारा वॉटर स्पोर्ट के लिए के लिए सबसे उपयुक्त सेथान माना जाता है. एशियन कायकिंग फेडरेशन बी. नरीता ने तो इसे वॉटर स्पोर्ट के लिए 36 देशों के ट्रैक में सबसे बेहतर ट्रैक तक बता चुके हैं.

  • श्री महालक्ष्मी एवं अन्य मंदिर ऊन

यह स्थान खरगोन से 18 कि.मी. दूरी पर है. परमार-कालीन शिव-मंदिर तथा जैन मंदिरों के लिये यह स्थान प्रसिद्ध है. एक बहुत प्राचीन महालक्ष्मी-नारायण मंदिर भी यहां स्थित है. प्रदेश में खजुराहो के अतिरिक्त केवल यहीं परमार-कालीन प्रचीन मंदिर हैं.

  • बाजीराव पेशवा समाधि रावेरखेड़ी

महान पेशवा बाजीराव की समाधी रावेरखेड़ी में स्थित है. उत्तर भारत के लिए एक अभियान के समय उनकी मृत्यु यहीं नर्मदा किनारे हो गई थी. रावेरखेड़ी के पास बकावां में नर्मदा के पत्थरों को तराश कर शिव-लिंग बनाए जाते हैं.

निमाड़ उत्सव से मिली ख्याति

वर्ष 1998 में निमाड़ उत्सव की शुरुआत की गई थी. तब से लेकर प्रति वर्ष तीन दिवसीय महोत्सव मनाया जाता है. इस उत्सव में प्रति वर्ष बड़ी हस्तियां अपनी प्रस्तुति देती रहीं हैं. लेकिन धीर-धीरे यह उत्सव बंद हो गया. मध्य प्रदेश की पूर्व संस्कृति मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने कमलनाथ सरकार में संस्कृति मंत्री रहते पुनः निमाड़ उत्सव और मंहेलेश्वर में नर्मदा उत्सव फिर से शुरू किया. जिसमें मध्यप्रदेश की कलाओं को अन्य प्रदेशों में की कलाओं लोकनृत्यों का मध्यप्रदेश में दिखाने का अवसर दिया.

प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

स्थानीय नागरिक मनोज पाटीदार ने कहा कि यहां पर मां अहिल्या का राजबाड़ा राजगादी, सोने का झूला, राजराजेश्वर मन्दिर, काशी विश्वनाथ मंदिर साथ ही साधु संतों की भूमि भी है. यहां पर्यटन को लेकर काफी संभावनाएं है, यहां के धरोहर को संरक्षित करने की जरूरत है. किले की दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकी है, जिसके लिए प्रशासन को कई बार सूचित किया जा चुका है. बावजूद इसके शासन प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है.

लॉकडाउन के बाद चहल-पहल

कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के दौरान नर्मदा घाट सून सपाटा छाया रहा, जब पांच महीनों के बाद अनलॉक का दौर शुरू हुआ तो 5 माह बाद घाटों पर पर्यटकों की चहलपहल थोड़ी बढ़ी. नर्मदा में नौका संचालन शुरू होने से नर्मदा मार्ग व काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र में पहुंचने वाले श्रद्धालु और पर्यटक घाटों तक पहुंचे नर्मदा के सौदर्य का आनंद ले रहे हैं. लोग अष्ट पैलू की सीढ़ियों पर बैठकर बादलों की आवाजाही के बीच नर्मदा के सौंदर्य को देख प्रभपल्लित हो रहे हैं. हलांकि अहिल्यादेवी के किले में गतिविधियां शुरू नहीं हो पाई है.

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