खरगोन । जिले की जीवनदायनी नदी कुंदा का जल खरगोनवासियों के घरों तक पहुंचने से पहले कई जल शोधन प्रक्रियाओं से गुजरता है. जल संशोधन के वाटरवर्क्स प्रभारी सरजू सांगले से ईटीवी भारत ने पूरी प्रक्रिया की जानकारी ली है. जल शोधन केंद्र के प्रभारी सरजू सांगले का कहना है कि नदी का पानी लोगों को पीने के लिए पहुंचने से पहले जल शोधन की कई प्रकियाओं से होकर गुजरता है.
खरगोन: देखिए कुंदा नदीं का पानी कैसे बनता है पीने लायक - जल शोधन प्रक्रिया
कुंदा नदी से शहरवासियों को आसानी से पीने का पानी मिल जाता है, लेकिन लोगों को पता नहीं है कि इस पानी को कितनी प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है. ईटीवी भारत पर देखिए किस तरह नदी के पानी को साफ सुथरा बनाकर लोगों के घरों तक भेजा जाता है. पढ़िए पूरी खबर..
![खरगोन: देखिए कुंदा नदीं का पानी कैसे बनता है पीने लायक Water purification process](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-7723546-thumbnail-3x2-i.jpg)
साल 1975 में बने इस शोधन केंद्र पर सबसे पहले नदी के पानी को इंटक वेल पम्प की मदद से पानी के टैंकों में पहुंचाया जाता है. उसके बाद दूसरे टैंक में रेत और मिट्टी को टैंक में नीचे बिठाया जाता है. फिर पानी को फिल्टर किया जाता है, जिसके बाद पानी यहां से पाइपों के जरिए शहर में बनी की चार टंकियों तक पहुंचता है.
टंकियों के जरिए लोंगो के घरों तक पीने का पानी पहुंचता है, तब कहीं शहरवासी अपनी प्यास बुझा पाते हैं. उन्होंने बताया कि वर्ल्ड बैंक की मदद से केंद्र सरकार ने इस पर काम शुरू किया है, जिसमें नई तकनीक के जरिए पानी फिल्टर किया जाएगा. जल्द ही काम पूरा होने के बाद नई प्रक्रिया से शहरवासियों के लिए पानी मुहैया कराया जाएगा.