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मुसीबत में महेश्वरी साड़ियों के बुनकर, बिचौलिए मालामाल, बुनकर बेहाल - करघे की खटखट

खरगोन की महेश्वरी साड़ियों की मांग देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में है. लेकिन इन साड़ियों की मांग के साथ ही इन्हें बनाने वाले बुनकरों का मुनाफा बिचौलिए ले जा रहे हैं.

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महेश्वरी साड़ी

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Published : Feb 28, 2020, 12:34 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 3:16 PM IST

खरगोन। खरगोन के महेश्वर के बुनकरों द्वारा बनाई गई साड़ियां न केवल देश बल्कि आज विश्व में अपनी पहचान रखती है. महेश्वरी साड़ियों के बनाने की शुरुआत मातुश्री मां अहिल्या ने की थी. सन् 1527 में बेरोजगारी और बेकारी में जी रही जनता को आत्म निर्भर बनाने और जीवन स्तर को ऊपर उठाने के उद्देश्य से साड़ियां बनाने की शुरूआत कुटीर उद्योग के रूप में की थी, जो आज भी पारम्परिक रूप से जारी है.

मुसीबत में महेश्वरी साड़ियों के बुनकर

हर गली में करघे की खटखट

महेश्वर का नाम जैसे-जैसे बढ़ा, वैसे-वैसे माहेश्वरी साड़ियों की मांग भी बढ़ी. जिससे आज हर घर, हर गली में बुनकरों के हाथ करघा की खटखट की आवाज लोगों को आकर्षित करती है. आज न केवल निमाड़ बल्कि देश के कई हिस्सों और विदेशों से आने वाले पर्यटक यहां से साड़ियां लिए बिना नहीं जाते हैं.

बिचौलियों को लाभ, बुनकरों की हालत दयनीय

महेश्वरी साड़ियों की विश्व स्तर पर मांग बढ़ने के साथ बुनकरों की हालत आज भी दयनीय स्थिति में है. विश्व स्तर पर महेश्वरी साड़ियों की मांग बढ़ने से बिचौलियों का फायदा हो रहा है. जो यहां के बुनकरों से साड़ियां सस्ते दाम पर खरीद कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. जिससे बुनकर महज मजदूर बनकर रह गए हैं.

Last Updated : Feb 28, 2020, 3:16 PM IST

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