खरगोन।गुजरात के वडोदरा से करीब 400 किलोमीटर पैदल चलकर एक परिवार जीवन दायनी मां नर्मदा की परिक्रमा के लिए मंडलेश्वर पहुंचा. यहां उन्होंने नर्मदा तट स्थित मां नर्मदा आश्रय स्थल पर रात्रि विश्राम किया और फिर सुबह पूजा अर्चना की. परिवार में दो छोटे बच्चे भी शामिल हैं. जिसमें एक बच्ची की उम्र पांच साल है और बेटे की उम्र ढाई साल है. पूजा अर्चना के बाद परिवार अपने अगले पढ़ाव के लिए आगे रवाना हो गया. दरअसल गुजरात से नर्मदा परिक्रमा करने के लिए 9 लोगों का जत्था एक महीने पहले पैदल यात्रा पर निकला था.
बच्ची को पूरा याद है रामायण और भगवत गीता के श्लोक
परिक्रमावासी अवनीश ने बताया की वह प्रतिदिन 20 से 25 किलोमीटर पैदल चलते हैं. उनके साथ उनके बच्चे भी कदम से कदम मिलाकर साथ चलते हैं. हालांकि ढाई साल का बेटा श्लोक भी कुछ दूर पैदल चलता है. साथ ही पांच साल की बेटी सुरभी पैदल ही चलती हैं. सुरभी मां नर्मदा और ईश्वर के प्रति इतनी आस्थावन हैं कि इतनी सी उम्र में ही उसे रामायण और भगवत गीता के श्लोक कंठस्थ हैं. सुरभी कथावाचक बनकर श्रीराम और भागवत कथाएं सुनाने में रूची रखती हैं. इसके लिए सुरभि को देवेर आश्रम में ही कथावाचक अर्चना सरस्वती द्वारा तैयारी भी करवाई जा रही है.
मां नर्मदा की कृपा से मां और बेटे की बची थी जान