खरगोन।गुरू पूर्णिमा के अवसर पर हर साल लाखों शिष्य खरगोन जिले के गुरू गादी पर पहुंच कर दर्शन लाभ लेते हैं, लेकिन इस साल कोरोना के चलते बहुत कम शिष्य ही आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं.
श्रीश्री 1008 पूर्णानन्द बाबा की तपोस्थली इंद्र टेकड़ी पर मौजूद समिति सचिव दिलीप चौहान ने बताया कि हर साल गुरू पूर्णिमा के अवसर पर दो लाख से अधिक शिष्य दर्शन लाभ लेकर प्रसाद ग्रहण करते हैं, लेकिन इस साल कोरोना के चलते कुछ ही लोग गुरू के दर्शन करने पहुंच रहे हैं.
गुरू पूर्णिमा पर दिखा कोरोना का असर तपोस्थली पर सेनिटाइजर की पूरी व्यवस्था
सचिव दिलीप चौहान ने बताया कि प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए हर एक घंटे पर सेनिटाइजर किया जा रहा है. वहीं आने वाले शिष्यों का हाथ सेनिटाइजर कराया जा रहा है.
क्यों मनाया जाता है गुरू पूर्णिमा
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन गुरू पूजा का विधान है. गुरू पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास को तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता हैं.
भारतीय संस्कृति में गुरू को देवता तुल्य माना गया है. गुरू को हमेशा से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान पूजा जाता है. वेद, उपनिषद और पुराणों का प्रणयन करने वाले वेद व्यास को सभी मानव जाति का गुरू माना जाता है. उनके सम्मान में हर साल अषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है. कहा जाता है कि इसी दिन वेद व्यास ने अपने शिष्यों और मुनियों को सर्वप्रथम श्रीमद् भागवत पुराण का ज्ञान दिया था.