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प्रदेश भर में धूमधाम से मनाई गई रामनवमी, तरह- तरह के कार्यक्रमों का किया गया आयोजन

राम नवमी के अवसर पर प्रदेश के कई जिलों में भक्ति मय वातावरण रहा. जिलों के मंदिरों में राम जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया.

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Published : Apr 13, 2019, 6:51 PM IST

प्रदेश भर में धूमधाम से मनाई गई रामनवमी

राम नवमी के अवसर पर प्रदेश के कई जिलों में भक्ति मय वातावरण रहा. मंदिरों में धूमधाम से राम जन्मोत्सव मनाया गया. तो कई जगहों पर राम लक्ष्मण हनुमान की झांकी निकाली गई.

खरगोन जिले में रघुवंशी समाज ने चल समारोह का आयोजन किया. जिसमें दो घुड़ सवार चल समारोह का नेतृत्व कर रहे थे. सूर्य रथ में सवार होकर राम लक्ष्मण और हनुमान नगर भृमण पर निकले. साथ ही डीजे की धुन पर युवा थिरकते नजर आए. समाज सेवी अजय रघुवंशी ने बताया कि राम नवमी के अवसर पर रघुवंशी समाज द्वारा चल समारोह निकाला जाता है. इसके बाद भंडारे का आयोजन किया जाता है.

प्रदेश भर में धूमधाम से मनाई गई रामनवमी

पन्ना पूरे विश्व मे हीरा के लिए तो मशहूर है ही साथ ही पन्ना में राज कालीन समय के कई ऐतिहासिक मंदिर भी स्थापित हैं. जिसके कारण पन्ना को मंदिरो की नगरी भी कहा जाता है. पन्ना के श्री राम जानकी मंदिर में चैत्र की नवमी तिथि को मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम का जन्मोत्सव मनाया गया.

ग्वालियर के सबसे बड़े राम मंदिर पर भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्मोत्सव धूमधाम और भक्ति भाव से मनाया गया. इस मौके पर सुबह से ही मंदिर में धार्मिक आयोजन किए जा रहे थे.

हरदा जिले सोहागपुर में विद्वान पंडितो के मार्गदर्शन में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की गई. वहीं शहर के गोलापुर के प्राचीन राम मंदिर में महाआरती कर राम जन्मोत्सव मनाया गया. नगर के 119 साल पुराने पट्टाभिराम मन्दिर में नारदीय परंपरा से प्रभु श्री राम जी का जन्मोत्सव मनाया गया. यहां पर महराष्ट्र के डोंबीवली की कीर्तनकार श्रीमति वर्षो काले ने गद्य और पद्य के माध्यम से भगवान राम के जन्म से लेकर राज्याभिषेक की कथा सुनाई.

राम की नगरी ओरछा में आज रामनवमी धूमधाम से मनाई जा रही है. शहर में राम के अयोध्या से ओरछा आगमन की वर्षगांठ मनाने की अनूठी परम्परा है, जिसमें हजारो श्रद्धालु भाग लेते हैं. इस वर्ष भी ढोल-नगाड़ों के साथ भव्य शोभा यात्रा निकाली गई. कहा जाता है कि आज से पांच सौ वर्ष पूर्व ओरछा की महारानी कुंवर गणेश अयोध्या से श्री राम के विग्रह को लेकर संत समाज के साथ पदयात्रा करते हुए नवमी पुष्य नक्षत्र में ओरछा पहुंची थी और राम को यहां राजा के रूप में प्रतिष्ठित किया था.

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