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यहां होली से लेकर रंगपंचमी तक लगती है 'भूतों की अदालत', नजारा देख दहल जाते हैं लोग - अंधविश्वास

खंडवा की सैलानी दरगाह पर होली से रंगपंचमी तक भूतों की अदालत लगती है. इस अदालत का मंजर दिल दहलाकर रख देता है.

भूत की अदालत।

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Published : Mar 26, 2019, 6:20 PM IST

खंडवा। मेले का नाम सुनते ही जेहन में आता है झूले, खाने-पीने की स्वादिष्ट चीजें, रंग-बिरंगे सामान, लेकिन जिले के सैलानी दरगाह में होली से लेकर रंगपंचमी तक एक ऐसा मेला लगता है, जिसे देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. आइए हम आपको दिखाते हैं ऐसे ही एक मेले का नजारा..

भूत की अदालत।

बालों को खोलकर झूमती इन औरतों को देखकर आपको शायद लगेगा कि ये नशे में हैं. नशा तो इन्हें अंधविश्वास का है. ये तस्वीरें हैं खंडवा की सैलानी दरगाह की. इस दरगाह पर अंधविश्वास का वो मेला लगता है, जिसे देखकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. यहां लगने वाली भूतों की अदालत का ये मंजर किसी के भी दिल को दहला सकता है.

बाबा की दरगाह में होली से लेकर रंगपंचमी तक 5 दिन भूतों की अदालत लगती है. इस अदालत में लोग अपने बीमार रिश्तेदारों को लाते हैं. उनका मानना है कि बाबा की भूतों की अदालत में आने वाले शख्स की सभी बीमारियों का इलाज हो जाता है. कहते हैं कि अंधविश्वास का कोई धर्म नहीं होता है. यही वजह है कि इस भूतों की अदालत में हर धर्म के लोग अपनी हाजिरी लगाते हैं. लंबी-लंबी कतारों में लगकर ये लोग अपनी बारी का इंतजार करते हैं.

बाल खोलकर यूं झूमती ये महिलाएं मुंह से अजीबोगरीब आवाजें निकालने लगती हैं. ये देखकर और सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएं. ये मंजर इस दुनिया से परे लगता है. अंधविश्वास की कोई सीमा नहीं है. इन लोगों की अंधी श्रद्धा ने अंधविश्वास का वो रूप सामने ला दिया है, जिससे बचना बहुत से लोगों के लिए नामुमकिन है.

देवास से अपने परिजन का इलाज कराने आए अहमद बताते हैं कि यहां क्या होता है, वो हमें दिखाई तो नहीं देता है, लेकिन बीमार का इलाज खुद-ब-खुद हो जाता है और वो पूरी तरह ठीक हो जाता है. अब 21वीं सदी में इस तरह के अंधविश्वास के कारण कई बार मरीज की हालत और ज्यादा बिगड़ जाती है. आस्था और अंधविश्वास के बीच एक बारीक सी लाइन है, जिसे जन जागरूकता लाकर ही समझाया जा सकता है.

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