खंडवा। जिले में बरसों पुराने धूनीवाले दादाजी धाम से जुड़े पटेल सेवा समिति में आज भी सालों पुरानी परंपरा निभाई जा रही है. यहां हर दिन बड़ी मात्रा में बनने वाले भोज्य पदार्थों में उपयोग होने वाले बर्तनों को साल में एक बार विशेष कलई प्रक्रिया से साफ किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस प्रक्रिया से सफाई करने से भोजन में स्वाद और सेहत बनी रहती है.
दरअसल तांबे और पीतल के बर्तनों में बनने वाले भोज्य पदार्थों में स्वाद और सेहत बनाए रखने के लिए उन्हें साल में एक बार कलई पद्धति से साफ किया जाता है. इस पद्धति में नौसादर और कटिल के उपयोग से सफाई की जाती है. सबसे पहले बर्तन को आग में तपाया जाता है. फिर उसमें नौसादर लगाया जाता है और फिर से आग पर रखा जाता है. इसके बाद उस बर्तन में कटिल डालकर उसे पॉलिश किया जाता है. जिससे बर्तन पूरी तरह चमक उठता है. यही नहीं इस तरह बर्तन साफ होने से बर्तन में बनने वाले भोजन का स्वाद बढ़ जाता है और भोजन खाने वाले की सेहत भी अच्छी रहती है.