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'देसी फ्रिज' पर भी लगा कोरोना का ग्रहण, रोजी-रोटी के लिए परेशान हुआ कुम्हार

लॉक डाउन की वजह से देसी फ्रिज कहलाने वाले मिट्टी के मटके की बिक्री पर भी ग्रहण लग गया है, जिससे कुम्हारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट है. मई के महीने में आमतौर पर मटकों की बिक्री खूब होती है, लेकिन इस साल कुम्हारों का धंधा पूरी तरह से चौपट हो चुका है. पढ़िए पूरी खबर....

mud pot business in loss
रोजगार पर बट्टा

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Published : May 27, 2020, 12:27 PM IST

Updated : May 28, 2020, 2:19 AM IST

खंडवा।मध्यप्रदेश में नौतपा शुरू हो चुका है और 15 दिन दिनों तक भीषण गर्मी पड़ने वाली है. वहीं कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन हुआ, जिसके चलते बड़े और छोटे व्यवसाय ठप हो चुके हैं. लॉकडाउन से छोटे व्यवसाय भी पूरी तरह प्रभावित हो रहे हैं.

लॉकडाउन के चलते खंडवा में कुम्हारों के रोजगार पर बट्टा लग गया है

ऐसे में सबसे ज्यादा असर पड़ा है मिट्टी के मटके और सुराही बेचने वालों पर, लॉकडाउन ने मिट्टी से मटके बनाने और बेचने वाले को आर्थिक मंदी में धकेल दिया है. गर्मियों में सीजन में गले को ठंडक देने मटके और सुराही खरीदते हैं, लेकिन लॉकडाउन ने लोगों को घरों में बंद कर दिया. वहीं मटका व्यापारियों की दुकानों पर लॉक लगा दिया है.

मिट्टी के वर्तन बेचने वालों का कहना हैं कि इस साल धंधे में मात्र 20 प्रतिशत बिक्री हुई है. लोग ठंडक देने वाले मटके और सुराही से दूर हैं और इनका व्यवसाय करने वाले लोग भी इस साल अच्छा व्यापार नहीं होने से परेशान हैं. सारा सामान जस का तस रखा रह गया है.

इस बार हुआ घाटा

मिट्टी के बर्तन बेचने वाले हीरा दास ने बताया कि वे मुख्यतः पेड़ पौधे की नर्सरी का काम करते हैं, लेकिन गर्मी के मौसम में ठंडे पानी के मटके सुराही की मांग बढ़ जाती है, इसलिए अलग अलग प्रकार के बर्तन बेचते हैं. हर साल की तुलना में इस साल इनकी बिक्री में बहुत कमी आई है.

उन्होंने बताया कि बंगाल के सिलीगुड़ी से सुराई, जयपुर की लाल मिट्टी के मटके, बैतूल के मटके सहित एक हजार बर्तन बुलवाए थे, लेकिन अब गर्मी का सीजन खत्म होने वाला है और इनमें से 200 बर्तन ही बिके हैं. इस व्यापार में डेढ़ लाख रुपए लगाए थे और बिक्री 5 हजार की ही हुई है.

इस सीजन में नहीं निकली लागत

सड़क किनारे मिट्टी के बर्तन की दुकान लगाए बैठी बुजुर्ग कमला ने बताया कि इस सीजन में बड़ा नुकसान हुआ है और जो लागत उन्होंने इस धंधे में लगाई थी वह भी नहीं निकली है. 20% माल ही बिका है. कुछ मटके और जीव जंतुओं के लिए मिट्टी के सकोरे बिक रहे हैं, लेकिन धंधा काफी सुस्त चल रहा है.

गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा घड़ों का व्यापार होता है, लेकिन लॉकडाउन के चलते घड़े का व्यापार करने वालों को खाली बैठना पड़ रहा है. उनके सामने दो वक्त की रोटी कमाने का संकट खड़ा हुआ है.

Last Updated : May 28, 2020, 2:19 AM IST

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