खंडवा। मध्यप्रदेश के खंडवा में मां तुलजा भवानी माता का अलौकिक मंदिर है, मां यहां रौद्र रूप धारण किए हुए हैं. इस रूप को मां कालका (काली माता) के रुप में पूजा जाता है, अति प्राचीन मंदिर करीब पांच हजार साल पुराना बताया जाता है. माता का यह मंदिर स्वंय भू है, भक्तों के अगाध आस्था के केंद्र माता के मंदिर में हर समय श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. खासतौर पर शारदीय नवरात्र में मंदिर में सुबह करीब चार बजे श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है. Navratri 2022
तीन बार रूप हदलती हैं माता:अतिप्राचीन मंदिरों में से खंडवा तुलजा भवानी का मंदिर है, इस मंदिर की खास बात है कि दिन में तीन बार मां अपने रुप बदलती है. सुबह बाल्य अवस्था, दोपहर में महिला और शाम के समय मां का रूप वृद्धावस्था का होता है. मंदिर करीब डेढ़ एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, मंदिर के गर्भगृह में आकर्षक नक्काशी का काम किया गया है, इससे मंदिर की भव्यता का एहसास होता है. गर्भगृह की दीवारों पर चाँदी से नक्काशी की गई है जो देखने में अनूठी प्रतीत होती है, देवी पर चांदी का छत्र सुशोभित है. माता के मुकुट को चांदी एवं मीनाकारी से सजाया गया है. मंदिर के पुजारी राजेंद्र चाैहान ने बताया कि, "मंदिर करीब पांच हजार वर्ष पुराना है, मंदिर रामायण काल का है. प्रतिदिन माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है, मंदिर में देशभर से श्रद्धालु आते हैं. यह जिले का ही नहीं पुरे निमाड़ा का प्रसिद्ध मंदिर है."