खंडवा।प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव का रंग जिले के पंधाना विधानसभा क्षेत्र में नजर आने लगा है. गांवों में चुनावी चर्चा तेज हो गई है तो वही दोनों ही पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को तैयार करने में लग गई है. मान मनुहार का दौर शुरू हो गया है. आदिवासी सीट होने से प्रदेश की राजनिति में यह महत्वपूर्ण मानी जाती है. यहां लंबे समय से भाजपा का दबदबा बना हुआ है. वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के युवा इंजीनियर राम दांगोरे के विधायक हैं. कांग्रेस की प्रत्याशी छाया मोरे को करीब 23 हजार से ज्यादा वोटों हराया था. पंधाना विधानसभा क्षेत्र के बड़ौदा अहीर जननायक टंट्या मामा की जन्मभूमि है.
क्षेत्र की विशेषता:पंधाना विधानसभा क्षेत्र खंडवा जिले के अंतर्गत आता है और खंडवा सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक विशेषताओं से भरा हुआ है. पंधाना के आस पास कई पर्ययक स्थान हैं जहां घूमा जा सकता है और पर्यटक आते भी खूब हैं. पंधाना के पास ही 12 ज्योतिर्लिंग में से एक ओंकार ममलेश्वर, ओंकारेश्वर शहर में पवित्र नर्मदा के तट पर स्थित है हालांकि यह मंधाता विधानसभा क्षेत्र में आता है. दादा धुनीवाले जी की समाधि स्थल खंडवा में स्थित है. मशहूर गायक किशोर कुमार की समाधि स्थली खंडवा शहर में है. हनुमंतिया द्वीप मध्य प्रदेश पर्यटन में एक उभरता जल पर्यटन स्थल है जो इंदिरा सागर बांध पुनासा तहसील में स्थित है.
पंधाना विधानसभा सीट में मतदाता:पंधाना विधानसभा क्षेत्र में महिला मतदाता 1 लाख 41 हजार 064 और पुरुष 1 लाख 32 हजार 803 मतदाता हैं. जबकी 4 अन्य हैं. इस तरह से कुल मतदाता 2 लाख 73 हजार 871 हैं. यह मतदाता अब 2023 में पंधाना विधानसभा क्षेत्र के भाग्य का फैसला करेगें.
पिछले चार विधानसभा चुनाव: पंधाना विधानसभा सीट पिछले चार चुनावों से भाजपा का गढ़ बनी हुई है. भाजपा के ही प्रत्याशी यहां जीतते आए हैं. प्रत्याशी बदलने के बाद भी कांग्रेस यहां जीत हासिल नहीं कर सकी. हर बार भाजपा नया प्रत्याशी यहां उतारती आई है. 2003 में भाजपा के किशोरीलाल वर्मा ने कांग्रेस के प्रत्याशी हीरालाल सिलावट को 16 हजार 820 वोटो से हराया था. 2008 में भाजपा के अनार सिंह वास्कले ने कांग्रेस के नंदू बारे को 3 हजार 393 वोटों से हराया. 2013 में भाजपा की योगिता नवलसिंह बोरकर ने कांग्रेस के नंदू बारे को 17 हजार 261 से हराया था. वहीं वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा के राम दांगोरे ने कांग्रेस प्रत्याशी छाया मोरे को 23 हजार 750 से हराया था.