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माखनलाल चतुर्वेदी के आंदोलन, जिसने अंग्रेजी हुकूमत को घुटने टेकने को किया मजबूर - मध्यप्रदेश न्यूज

माखनलाल चतुर्वेदी उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से एक है, जिन्होंने पत्रकारिता के जरिए ब्रिटिश हुकूमत को हिलाकर रख दिया था. 17 जुलाई 1920 का उन्होनें अंग्रेजी हुकूमत को अपने फैसला बदलने को मजबूर कर दिया था.

माखनलाल चतुर्वेदी

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Published : Aug 11, 2019, 3:35 PM IST

Updated : Aug 12, 2019, 8:15 PM IST

खंडवा। भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों अहम भूमिका निभाई है, उनमें से एक है माखनलाल चतुर्वेदी. माखनलाल चतुर्वेदी ने अपने कलम के दम से ब्रिटिश हुकूमत घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. उन्होंने अपना जीवन एक पत्रकार,साहित्यकर और एक शिक्षक के रूप व्यतीत किया. 4 अप्रैल 1889 को होशंगाबाद के बाबई में जन्मे माखनलाल चतुर्वेदी ने खंडवा को अपनी कर्मस्थली बनाया था. आज के दौर में उनकी पत्रकारीय सिद्धांत उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस दौर में थे.

माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी ने अपने लेखों के जरिए अंग्रेजी हुकूमत को कई बार अपने फैसलों को बदलने पर मजबूर कर दिया था. ऐसा ही एक किस्सा है 17 जुलाई 1920 का हैं.जब मध्यप्रदेश के सागर जिले के रतौना नामक स्थान पर गाय काटने का कारखाना खुलने वाला था.इस बात का पता जैसे ही माखनलाल को चला तो उन्होंने अपने समाचार पत्र 'कर्मवीर' में इसके खिलाफ संपादकीय लिखा. इसका असर यह हुआ कि देखते ही देखते पूरे प्रदेश में गौवंश के खिलाफ मुहिम छिड़ गई और आखिरकार ब्रिटिश हुकूमत को अपना फैसला बदलना पड़ा. माखनलाल चतुर्वेदी को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था.

माखनलाल 'कर्मवीर' के अलावा 'प्रभा मैगजीन'का प्रकाशन भी किया. माखनलाल ने कर्मभूमि खंडवा में अपने समाचार पत्र कर्मवीर का संपादन किया. इसी के नाम पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का विस्तार परिसर कर्मवीर विद्यापीठ के नाम पर रखा गया. यहां विगत 20 वर्षों से पत्रकारिता के पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं.

Last Updated : Aug 12, 2019, 8:15 PM IST

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