खंडवा। विश्व महिला दिवस के मौके पर हम आपको मूल रूप से सिवनी जिले की रहने वाली नजमा खान से मिलवाने जा रहे है, जो अब खंडवा के हरसूद में शिक्षिका के तौर पर पदस्थ हैं. अपनी जिंदगी के महज 18 साल में ही शादी हो जाने और उसके डेढ़ साल बाद ही पति द्वारा जिंदगी की राह में नवजात बेटी को अकेला छोड़ जाने के बाद भी नजमा ने हिम्मत नहीं हारी. खेल और शिक्षा में जो मुकाम हासिल किया वो आज हर एक महिला के लिए प्रेरणा बन गई हैं.
पति के छोड़ने के बाद खुद अपने पैरों खड़ी हुई
2006 में 18 साल की छोटी उम्र में शादी होने के डेढ़ साल बाद बेटी को जन्म देने पर पति ने नजमा को छोड़ दिया, ऐसी स्थिति में अचानक नजमा की आजीविका पर संकट के बादल गहरा गए, लेकिन उसने हार नहीं मानी और 10वीं, 12वीं बीए बीएड और बीपीएड कोर्स किया. आर्थिक तंगी से गुजर रही नजमा के लिए ये आसान नहीं था. इसके लिए उन्होंने बच्चों के ट्यूशन पठाया. दिन में बच्चों को पढ़ाना, तो वहीं जिंदगी के गुजर बसर के लिए रात भर जागकर सिलाई करना, नजमा के संघर्ष की कहानी बयां करता है.
अशोक ध्यानचंद ने अच्छे खेल के लिए किया सम्मानित
नजमा की खेल में रुचि थी. अपने गांव की टीम से खेलते हुए नजमा ने शानदार प्रदर्शन किया. उस समय हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद ने उन्हें अच्छे खेल के लिए सम्मानित भी किया था. वॉलीबॉल, कबड्डी, एथलेटिक्स जैसे खेल के गुर जानने वाली नजमा अपने गांव की ग्रामीण खेल प्रशिक्षक बन गई. नजमा को अपने जिले से राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए मदुरई जाने का मौका मिला. वहां नजमा ने अपने खेल से सभी का दिल जीत लिया. यही नहीं नजमा के सिखाए हुए 5 बच्चे भोपाल, चेन्नई, मदुरई, कोच्चि और जबलपुर में राष्ट्रीय स्तर पर, जबकि 11 बच्चे राज्य स्तरीय खेल स्पर्धाओं में न सिर्फ शामिल हुए, बल्कि बेहतर प्रदर्शन भी किया.
नजमा का पढ़ाया छात्र सागर में डिप्टी कलेक्टर
नजमा ने आखिरकार 2013 में मध्यप्रदेश व्यापमं की शिक्षक भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण कर ली और उनकी पोस्टिंग खंडवा जिले की हरसूद तहसील में हो गई. यहीं नहीं नजमा के द्वारा पढ़ाए गए छात्र गगन बिसेन आज सागर जिले में डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदस्थ हुए हैं.