खंडवा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार 2014 में देश के युवाओं को स्किल इंडिया का मंत्र दिया था. इस नारे के साथ ही युवा वर्ग अपनी स्किल अपने हुनर को रोजगार में तलाश करने लगा और देश के सैकड़ों नौजवानों को रोजागर का बेहतर अवसर भारत सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम से मिला. वहीं 2017 में भारत जापान के बीच हुआ समझौते में भारत के जुझारू काम के कर्मठ युवाओं को जापान में रोजागर का सुनहरा मौका दिया गया. जिसका लाभ देश के कई युवाओं ने उठाया उनमें अब खंडवा के श्याम पटेल का नाम भी जुड़ गया हैं.
जापान में रोजगार के अवसर
जिले के आरूद गांव के रहने वाले श्याम पटेल को जापान में रोजगार का अवसर मिला है. ये मौका भारत-जापान के बीच नेशनल स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम को लेकर साल 2017 में हुए करार से मिला है. जिसके अंतर्गत युवा हुनरमंद कामगारों की कमी से जूझ रहा जापान भारत के युवाओं को अपने यहां रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करेगा. इसके लिए, पहले युवाओं को प्रशिक्षण और औद्योगिक वातावरण के अनुरुप ढाला जाता हैं. भारत सरकार ने देशभर में ऐसी अनेकों संस्थाओं को मान्यता दी हैं. जो 10 पास या आईटीआई पास युवाओं का चयन करके उन्हें प्रशिक्षण दे रहीं हैं. इसके बाद उन्हें जापान की औद्योगिक क्षेत्र में रोजागर मिलना आसान हो जाता हैं.
भाषा भी सिखाई जाती है
जापान में काम करने से पहले युवाओं में स्थानीय भाषा की जरूरी समझ आवश्यक हो जाती हैं. जिसके चलते प्रशिक्षण में भाषा पर काम किया जाता हैं. श्याम पटेल का कहना हैं कि वे खेती और कारपेंटर का काम करते थे. उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैं. उन्होंने लोहिया कॉर्पोरेशन का नाम सुना और इसके बाद उन्होंने सेमिनार में भाग लिया. उन्होंने इसमें रूचि दिखाई और उनका चयन 6 महीने के प्रशिक्षण के लिए कानपुर में हो गया.
6 महीने की होती है ट्रेनिंग
6 महीने के प्रशिक्षण के दौरान व्यक्ति में सकारात्मकता और दृढ़ इच्छाशक्ति देखी जाती है, साथ ही युवा को हर कठिन परिस्थिति अनुरूप ढलना सिखाया जाता है और हर स्थिति परिस्थिति से लड़ना सिखाया जाता है. इसी क्षमता के आधार पर श्याम पटेल का चयन किया गया था. वहीं प्रशिक्षण पूरा होने के बाद अब जाकर श्याम को जापान की एक औद्योगिक इकाई में रोजगार का अवसर मिला है. जहां श्याम भारतीय रुपयों के अनुसार लगभग 1 लाख रूपए से ऊपर की तनख्वाह पर नौकरी कर सकते हैं. लोहिया कॉर्पोरेशन के अनुसार श्याम 35-40 हजार रूपये अपने घर भी भेज सकते हैं. श्याम पटेल कहते हैं कि 6 महीने के प्रशिक्षण में सामान्य पढ़ाई के साथ साथ भाषा और वहां का कल्चर भी सीखने को मिलता हैं.