खंडवा लोकसभा सीट पर सियासी 'संग्राम', अरुण यादव के दावेदारी वापस लेने के बाद कांग्रेस कन्फ्यूज, जानें जातीय समीकरण
खंडवा लोकसभा सीट पर अभी तक बीजेपी-कांग्रेस की तरफ से प्रत्याशी के नाम का एलान नहीं हुआ है. वहीं कांग्रेस की तरफ से प्रबल दावेदार माने जा रहे अरुण यादव ने अपनी दावेदारी वापस ले ली. जिसके बाद से लोकसभा सीट पर सियासी सरगर्मी तेज है. कांग्रेस अब कन्फ्यूज दिख रही है. वहीं बीजेपी की तरफ से भी अभी तक स्थिति साफ नहीं हो पाई है.
खंडवा लोकसभा सीट पर सियासी 'संग्राम',
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Published : Oct 4, 2021, 7:45 PM IST
खंडवा।लोकसभा उपचुनाव में अरुण यादव के दावेदारी वापस लेने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है. जिले भर में इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. बीजेपी के खेमे में इसको लेकर काफी सुगबुगाहट है. प्रदेश से लेकर जिले के बीजेपी और कांग्रेस कार्यालय में इसको लेकर चर्चा है. हालांकि मतदाताओं को साधने के लिए बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने में लगी हुई है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के खेमे में किसी तरह की हलचल होती नजर नहीं आ रही है. दोनोंं ही दलों ने अब तक अपने प्रत्याशी तय नहीं किए हैं.
कन्फ्यूजन में कांग्रेस, किसको दें टिकट
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने खंडवा लोकसभा उपचुनाव से अपनी दावेदारी वापस ली है. इससे प्रदेश से लेकर जिले की राजनिति गरमा गई है. लोकसभा क्षेत्र में अब तक कांग्रेस की ओर से अरुण यादव को प्रत्याशी तय माना जा रहा था. लेकिन उनके ना कहते ही अब कांग्रेस काे प्रबल दावेदार की तलाश है. हालांकि बड़वाह विधायक सचिन बिरला, निर्दलीय बुरहानपुर विधायक सुरेंद्र सिंह ठाकुर की पत्नी जय श्री ठाकुर, रवि जोशी ने दावेदारी जताई है. अब इनके नामों को लेकर प्रदेश और दिल्ली स्तर पर चर्चा की जाने की बात भी सामने आई है. लेकिन अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है.
दावेदारी वापसी पर बीजेपी का पलटवार
यह भी सुगबुगाहट है कि अरुण यादव का यह राजनैतिक स्टैंट है, वे वापस मैदान में आएंगे. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता और युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री राम दांगोरे ने अरुण यादव को लेकर कहा कि अरुण यादव को अपनी जमीन खिसकती हुई नजर आ रही है, इसलिए उन्होने अपना नाम वापस लिया. एक तरह से बीजेपी के आगे अरुण यादव ने सरेंडर किया है, कांग्रेस राजनिति के अलावा कुछ नहीं करती है.
यहां हर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण अलग-अलग है. लेकिन अगर लोकसभा सीट की बात करें, तो यहां पर SC/ST का कुछ सीटों पर जबरदस्त दबदबा है. जो प्रत्याशी का मत परिवर्तन कराने में अहम योगदान देता है.
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