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दादाजी धूनीवाले के दरबार पर दिखा कोरोना इफैक्ट, दर्शन करने पहुंचे महज 10 हजार भक्त - खंडवा के दादाजी महाराज

कोरोना गाइडलाइन को देखते हुए गुरु पूर्णिमा के अवसर पर खंडवा का दादाजी दरबार में भक्तों को सीमित संख्या में प्रवेश मिला. हर साल लाखों की संख्या में भक्त दादाजी के दरबार में माथा टेकने के लिए आते है. लेकिन पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर में 10 हजार के आस पास श्रद्धालुओं ने माथा टेका. आइए जानते है दादाजी की महिमा और खंडवा में उनके समाधी लेने की कहानी...

दादाजी दरबार
दादाजी दरबार

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Published : Jul 24, 2021, 9:47 PM IST

Updated : Jul 24, 2021, 11:01 PM IST

खंडवा। खंडवा के प्रसिद्ध धूनीवाले दादाजी महाराज के दरबार में कोरोना गाइडलाइन को देखते हुए 10 हजार श्रद्धालुओं ने माथा टेका. हर साल दादाजी महाराज के दरबार में लाखों की संख्या में भक्त माथा टेकने पहुंचते थे. कहा जाता है कि दादाजी महाराज के दरबार में जाते ही भक्त चिंता मुक्त हो जाता है. दादाजी महाराज अपने भक्तों के सभी दुख हर लेते है. दादाजी महाराज की महिमा सबसे निराली है. आइए जानते है दादाजी महाराज के बारे में कुछ प्रमुख बातें.

दादाजी धूनीवाले के दरबार में 10 हजार भक्तों ने टेका मत्था

गुरु शिष्यों की परंपरा का उदाहरण है दादाजी दरबार

दादाजी दरबार नियम कायदों और सख्त अनुशासन के साथ गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन करने वाला स्थान है. 3 दिसंबर 1930 को श्री केषवानंदजी महाराज अर्थात श्री दादाजी धूनीवाले ने खंडवा में जिस स्थान पर अंतिम विश्राम किया था, उसी जगह पर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र दादाजी दरबार बना. 4 फरवरी 1942 में उनके उत्तराधिकारी श्री हरीहर भोले भगवान अर्थात श्री छोटे दादाजी ने भी अपनी देह त्याग दी, उन्हें भी पूरी मर्यादा के साथ यही समाधिस्थ किया गया.

दादाजी महाराज ने किए कई चमत्कार

दादाजी धूनीवालों ने मानवता के कल्याण के लिए सदैव कार्य किए. उनके अलौकिक चमत्कारों में मुर्दा व्यक्ति को फिर जिंदा कर देना, अंधे को आंखे दे देना जैसे चमत्कार है. दादाजी महाराज कहा करते थे कि 'जो मेरे नाम पर तो मैं उसके काम, और जो अपने काम पर, तो मैं अपने धाम पर'. अर्थात जो मेरा है उसका मैं सदैव ध्यान रखता हूंं. दादाजी महाराज का नाम जपने मात्र से दुखों का निवारण हो जाता है.

सबसे अलग हटकर है दादा दरबार

आम धार्मिक स्थलों के मुकाबले दादाजी दरबार इसलिए भी अलग हटकर है, क्योंकि यहां कोई पंडा अथवा पुजारी नहीं है. न पूजा पाठ, अभिषेक, यज्ञ के लिए दबाव डाला जाता है और ना ही भक्तों से किसी भी प्रकार का चंदा मांगा जाता है.

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91 साल से सतत जल रही अखंड धूनी

बडे़ दादाजी धूनीवाले जहां भी जाते थे वहां धूनी रमाकर बैठते थे. इसीलिए उन्हें धूनीवाले दादाजी कहा जाता है. खंडवा में सबसे जीवंत और जागृत धूनी है जो कि दादाजी धूनीवालों द्वारा स्वयं 1930 में प्रज्जवलित की थीं. यह धूनी आज भी अखंड स्वरूप में प्रज्जवलित है. यहां धूनी में सूखे नारियल स्वाहा किए जाने की पंरपरा है. अखंड धूनी के साथ अखंड ज्योति भी यहां है.

Last Updated : Jul 24, 2021, 11:01 PM IST

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