कटनी।मानसून के सक्रिय होने के बाद लगभग एक महीने तक रुक रुककर बारिश के बाद मौसम के रुख में बदलाव आया है. जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. एक ओर कोरोना का संकट तो दूसरी ओर मौसम की बेरुखी ने, किसानों को चिंता में डाल दिया है. कृषि विभाग के अधिकारी मौसम के इस रुख को धान की फसल के लिए अच्छा संकेत मान रहे हैं. जबकि कृषि से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में भी मानसून की यही स्थिति रही तो किसानों के लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है.
कटनी में कम बारिश से चिंता में पड़े धान किसान कृषि विभाग के उप संचालक एके राठौड़ ने बताया है कि पिछले साल की तुलना में इस साल कुछ परिवर्तन आया है. पिछले साल 4 जुलाई से बारिश होना शुरू हो गई थी. इस साल 22 जून को ही अच्छी वर्षा हुई थी. अभी जिले में 300 मिलीमीटर वर्षा हुई है. जबकि गत वर्ष 274 मिलीमीटर वर्षा हुई थी. लिहाज इस वर्ष अच्छी खेती होगी. जिले में खरीफ फसल की बोनी अंतिम चरण में है.
धान बुवाई का 90% काम पूरा
उन्हें बताया कि कटनी में धान की बुवाई का 90% काम पूरा हो चुका है. कृषि विभाग के मुताबिक जिले में खरीफ फसल के लिहाज से पर्याप्त बारिश हो चुकी है. इसलिए किसान बोनी के बाद खेतों में रोपा के काम में तेजी से जुटे हुए हैं. वहीं दूसरी ओर खेतों में पानी की कमी से किसान रोपा नहीं लगा पा रहे हैं. कृषि विभाग के मुताबिक जिले में 50 % से अधिक रोपा का काम कर चुका है. जबकि बारिश के एकाएक रुक जाने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींची हुई हैं.
विद्युत सप्लाई से परेशान ग्रामीण
मौसम की बेईमानी के साथ ही कटनी में लचर विद्युत व्यवस्था और खस्ताहाल सिंचाई व्यवस्था एक बड़ी मुसीबत है. जिससे किसानों को और भी अधिक परेशानी हो रही है. बारिश के मौसम में विद्युत व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत की सप्लाई का बहुत बुरा हाल है. खरीफ फसल वैसे तो पूरी तरह बारिश पर आधारित होती है. लेकिन कम बारिश होने की स्थिति में सिंचाई के लिए नहर और बिजली का महत्व बढ़ जाता है. पूरे जिले के बांधों और नहरों की बदहाल स्थिति किसानों की जरूरतों को कितना पूरा कर सकेंगे.