गुरु और शिष्य का अनूठा प्रेम, हरिहर तीर्थ भूमिपूजन पर धीरेंद्र शास्त्री बोले-ये हिंदू राष्ट्र का नया अध्याय, सनातन विरोधियों की बनेगी ठठरी
कटनी जिले के विजयराघवगढ़ में श्री हरिहर तीर्थ का भूमिपूजन हुआ. जहां पं. धीरेंद्र शास्त्री ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि हरिहर तीर्थ हिंदू राष्ट्र का नया अध्याय है. अब सनातन विरोधी की ठठरी बनेगी और हरी उलाह वालों की गठरी बनेगी.
गुरु और शिष्य का अनूठा प्रेम
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Published : Jun 14, 2023, 9:01 AM IST
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Updated : Jun 14, 2023, 9:53 AM IST
धीरेंद्र शास्त्री ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य से लिया आशीर्वाद
कटनी। जिले के विजयराघवगढ़ में बागेश्वर धाम के संत पं. धीरेंद्र शास्त्री और जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के बीच शिष्य और गुरु का अनूठा स्नेह देखने मिला. जिसने भी यह नजारा देखा प्रतिभूत हो गया. दरअसल श्री हरिहर तीर्थ के भूमिपूजन पर शामिल होने बागेश्वर धाम सरकार पं.धीरेंद्र शास्त्री ग्राम बंजारी पहुंचे थे जहां उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज के चरणों में दंडवत प्रणाम करते हुए उनका आशीर्वाद लिया.
हिंदू राष्ट्र का नया अध्याय शुरू:पं. धीरेंद्र शास्त्री ने धर्मसभा में शामिल होते हुए विधायक संजय पाठक को अपना गुरुभाई बताया. उन्होंने कहा कि ''श्री हरिहर तीर्थ का निर्माण करवाने का निर्णय लेकर संजय पाठक ने हिंदू राष्ट्र का नया अध्याय शुरू किया है. जिससे सनातन विरोधी की ठाठरी बंधेगी और हरिहर उलह वालों की गठरी बंधने का समय आ गया है.''
संतों के आने से जीवन की संस्कृति भी हरिभरी हो जाती है: बागेश्वर धाम सरकार ने कहा कि ''ऐसे सनातनी हिंदू लोग जो कटने-बटने का काम कर रहे थे उनको जोड़ने का काम, एक तीर्थ, एक छत करेगा. जो श्री हरिहर तीर्थ के माध्यम से होगा. यहां संतों के आने से क्या होगा पूछने वालों को बता दूं जिस प्रकार बसंत के आने से पूरे प्रकृति हरिभरी हो जारी है, ठीक उसी प्रकार जीवन में संतों के आने से हमारे जीवन की संस्कृति भी हरिभरी हो जाती है.''
डेढ़ लाख से अधिक लोग विजयराघवगढ़:पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा ''परम पूज्य भगवान गुरुदेव ने ऐसी प्ररेणा दी की श्री हरिहर तीर्थ की व्यवस्था करो. ताकि समूचे मध्यप्रदेश के लोगों को एक ही स्थान पर सभी देवी देवताओं के दर्शन हो जाए. जिससे समूचा मध्यप्रदेश भी राममय दिखाई देगा.'' आपको बता दें कि पूरे कार्यक्रम शामिल होने तकरीबन डेढ़ लाख से अधिक लोग विजयराघवगढ़ पहुंचे थे. जिन्होंने धर्मसभा में शामिल होकर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी और पंडित धीरेंद्र शास्त्री के कथा सुनने का अवसर प्राप्त किया.