कटनी। कोरोना काल में हर कोई काम-धंधे को लेकर परेशान है. करीब दो महीने के लॉकडाउन की वजह से छोटे, बढ़े सभी व्यवसायों की कमर टूट चुकी है. लॉकडाउन की वजह से बाजार बंद रहे और लोग अपने घरों में कैद रहे, जिसकी वजह से व्यापारियों की हालत बद से बदतर हो गई है. ऐसा ही कुम्हारों के साथ भी हो रहा है. सड़क के किनारे मटकों को सजाए बैठे ये कुम्हार इस उम्मीद से बैठे है कि, मटकों की बिक्री होगी, तो घर का खर्च निकल आएगा.
ग्राहक का इंतजार करते कुम्हार मटका बेचने वाले कुम्हार पांडू ने बताया कि, इस बार तो भारी घाटे का सामना करना पड़ेगा. कटनी में मटका बेचने वाले कुम्हार तपती धूप में ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं. ईटीवी भारत से अपना दर्द बयां करते हुए पांडू ने बताया कि, लॉकडाउन की वजह से इस बार मटकों की बिक्री नहीं हो पाई है. जिससे परिवार के सदस्यों का पेट भरना मुश्किल हो गया है. इनका कहना है कि, इस बार गांव से लाए गए सामान का किराया निकालना भी मुश्किल हो रहा है.
पांडू ने कहा कि, पिछले सीजन में तीन गाड़ी भरकर मटके बेच थे. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से धंधा मंदा पड़ गया है. मटका बेचकर ही अपना भरण पोषण करते हैं. इसके अलावा उनके पास और कोई काम नहीं है. उन्होंने बताया कि, कोई काम करना भी नहीं जानते हैं. सीजन तो निकल गया, लेकिन पेट भरने के लिए सालभर क्या खाएंगे. इसका इंतजाम नहीं हो पाया. इस साल मात्र दो से चार हजार रुपये की कमाई हुई है.
वहीं एक अन्य कुम्हार ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा, इस बार की कमाई से पेट भरना भी मुश्किल हो गया है. अब समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें, कहां जाएं. पहले 60 से 70 रुपये की कीमत पर मटके बेच जाते थे, लेकिन इस बार 30 से 40 रुपये में ही बेचने पड़ रहे हैं. ऊपर से सीजन भी खत्म होने वाला है.
लॉकडाउन का असर दुकानदारों के साथ- साथ सामान को खरीदने वाले ग्राहकों पर भी पड़ रहा है. हालात के मारे मटका व्यापारियों के सामने भुखमरी की नौबत आ गई है. ऐसे में उन्हें प्रशासन की ओर से कोई मदद भी नहीं मिली है.