कटनी।दीपावली से पहले पितृपक्ष से ही लोग अपने घरों की सफाई, पुताई और सजावट करने में जुट जाते थे. जिससे कटनी में कबाड़ का व्यवसाय करने वालों की चांदी हो जाती थी. लोग घरों से निकलने वाली पुराने सामान को कबाड़ी वाले को बेच देते थे. इससे कबाड़ का व्यवसाय करने वालों को लाखों रुपए का अच्छा खासा मुनाफा हो जाता था. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण का असर कबाड़ के व्यवसाय करने वालों पर भी पड़ा है. दिवाली तक लाखों रुपए का शहर में कबाड़ का व्यापार होता था. लेकिन इन दिनों स्थिति यह है कि घरों से कबाड़ इकट्ठा करने वाले लोगों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं रही है.
गुहार सुनो सरकार !
इस धंधे से जुड़े मोहम्मद इस्राफी ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि कबाड़ का काम गणेश जी से उठ जाता था लेकिन इस समय से बहुत परेशान है. कोरोना के कारण गरीब और वे खुद भी काफी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि सरकार उनकी आर्थिक रुप से कुछ मदद करें. मोहम्मद इजराइल बताते है कि कोरोना से पहले वे 500 रुपये की कमा लेते थे लेकिन अब तो 100 रुपये भी कमाना मुश्किल हो रहा है.
धंधा हुआ मंदा अब भूखों मरने की नौबत
कबाड़ का काम करने वाली रानी बाई ने कहा कि वे इस काम को करीब 20 सालों से कर रहे हैं. उन्होंने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि इस बार तो स्थिति काफी ही खराब है. आलम यह है कि इस बार तो कबाड़ से जुड़े लोग भूख से मर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिपावली और दशहरा से ये काम शुरू हो जाता था तो उसमें 300 लेकर 400 रुपये प्रतिदिन के कमा लेते थे. लेकिन कोरोना की वजह से दिनभर में 50 रुपये भी कमाना मुश्किल हो रहा है.