कटनी। गुरुवार को महालक्ष्मी पूजा घर-घर में होगी. सुहागन महिलाएं महालक्ष्मी का व्रत रखेंगी. कोरोना संक्रमण के कारण मंदिरों में सीमित श्रद्धालुओं की मौजूदगी में पूजा अर्चना की जाएगी. कोरोना का असर महालक्ष्मी पूजन पर भी देखने को मिल रहा है. पिछले साल की तुलना में इस बार मिट्टी के हाथी और सामग्री खरीदने वालों की संख्या में भारी कमी आई है.
पंडितों के अनुसार यह त्योहार 26 अगस्त, यानी भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी से शुरु हो गया था. जिसका पितृ पक्ष की अष्टमी का समापन होगा. इस व्रत को गजलक्ष्मी कहा जाता है. व्रत के दिन हाथी की पूजा और महालक्ष्मी के साथ गजलक्ष्मी स्वरूप की पूजा की जाती है. गोधूलि बेला में महालक्ष्मी हाथी पूजा महिलाओं द्वारा की जाएगी. महिलाएं सुबह 16 बार पानी अपने ऊपर गढ़वा में डालकर स्नान करती हैं. शाम को 16 प्रकार के पकवान बनाकर महालक्ष्मी जी पूजा और कमल का फूल चढ़ा कर पूजा करेंगी.