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Published : Mar 17, 2023, 6:31 PM IST

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वेटिकन राजदूत आर्चबिशप जीरेली 25 मार्च को आएंगे झाबुआ, डायोसिस की 21वीं वर्षगांठ समारोह में करेंगे शिरकत

कैथोलिक ईसाई समाज के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के प्रतिनिधि के रूप में वेटिकन राजदूत आर्चबिशप लियोपोल्डो जीरेली 25 मार्च को झाबुआ आएंगे. वे यहां झाबुआ डायोसिस की 21वीं वर्षगांठ पर नवनिर्मित चर्च में आयोजित समारोह में हिस्सा लेंगे.

Vatican Ambassador Archbishop Girelli
पोप फ्रांसिस के प्रतिनिधि वेटिकन राजदूत आर्चबिशप जीरेली

झाबुआ।वेटिकन राजदूत आर्चबिशप लियोपोल्डो जीरेली आगामी 25 मार्च को झाबुआ आ रहे हैं. जीरेली कैथोलिक ईसाई समाज के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के प्रतिनिधि के रूप में झाबुआ डायोसिस की 21वीं वर्षगांठ पर नवनिर्मित चर्च में आयोजित समारोह में शिरकत करेंगे. वर्ष 2002 में इसी दिन झाबुआ डायोसिस की स्थापना हुई थी और झाबुआ के चर्च को कैथेड्रल (महागिरिजाघर) घोषित किया गया था. यह पहला मौका होगा, जब वेटिकन के राजदूत यहां आ रहे हैं. आर्चबिशप लियोपोल्डो जीरेली के साथ समारोह में भोपाल के आर्चबिशप डॉ. एएएस दुराईराज और आर्चबिशप लियो कार्नेलियो भी मौजूद रहेंगे. उनके मार्गदर्शन में नए चर्च भवन में सुबह 11 बजे पवित्र मिस्सा बलिदान का आयोजन किया जाएगा. हालांकि, नवनिर्मित चर्च में 26 अगस्त 2022 से ही प्रार्थना प्रारंभ हो चुकी है, लेकिन जीरेली के आगमन को चर्च के औपचारिक उद्घाटन से ही जोड़कर देखा जा रहा है. यह भी बता दें कि झाबुआ का यह चर्च संभवतया मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा चर्च है.

पोप फ्रांसिस के प्रतिनिधि वेटिकन राजदूत आर्चबिशप जीरेली

सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन अलर्ट: वेटिकन के राजदूत आर्चबिशप लियोपोल्डो जीरेली के झाबुआ आगमन को लेकर प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर आ गया है. खुफिया एजेंसियां हर गतिविधि की रिपोर्ट ले रही हैं. झाबुआ में चर्च के निर्माण को लेकर हिंदू संगठनों के प्रतिनिधि कई बार विरोध दर्ज करा चुके हैं. आए दिन धर्मांतरण का मुद्दा भी उठाया जाता है. ऐसे में झाबुआ प्रशासन सुरक्षा के मुद्दे पर किसी तरह की रिस्क नहीं लेना चाहता. इसके साथ ही आर्चबिशप जीरेली के झाबुआ दौरे पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों की निगाह रहेंगी.

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140 साल पुराना इतिहास:झाबुआ में ईसाई समुदाय का करीब 140 साल पुराना इतिहास है. बताया जाता है कि झाबुआ स्टेट के समय सबसे पहले वर्ष 1883 में फादर चार्ल्स यहां आए थे. उन्होंने यहां 1903 में कैथोलिक मिशन परिसर की स्थापना की. इसके बाद 1923 में झाबुआ में कैथोलिक चर्च की स्थापना हुई. इस चर्च का उद्घाटन अजमेर के बिशप हेनरी कोमोंट ने किया था. इस चर्च के दूसरे हिस्से का निर्माण वर्ष 1935 में किया गया. चूने और पत्थर से बना भवन कमजोर हो गया था, लिहाजा इसके जीर्णोद्धार का निर्णय लिया गया. 8 सितंबर 2019 को स्व. बिशप बसील भूरिया ने विधिवत नए चर्च के निर्माण का कार्य प्रारंभ कराया. नए चर्च भवन में तीन शिलालेख लगाए जाएंगे. एक शिलालेख सबसे पहले उद्घाटन समारोह का, दूसरा भवन के एक हिस्से के निर्माण के समय का जबकि तीसरा शिलालेख नवनिर्मित चर्च भवन का होगा.

अब तक तीन बिशप संभाल चुके हैं दायित्व:वर्ष 2002 में झाबुआ डायोसिस की स्थापना के बाद सबसे पहले यहां का जिम्मा बिशप टीजे चाको को दिया गया. उनके बाद बिशप देवप्रसाद गणावा ने यहां सेवाएं दीं. फिर बिशप बसील भूरिया ने कार्यभार संभाला. कोरोनाकाल में उनके निधन के बाद अब प्रशासनिक अधिकारी फादर पीटर खराड़ी यहां की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. नए चर्च का निर्माण 10 हजार वर्गफीट में किया गया है. यह पूरी तरह से गोथिक आर्किटेक्चर पर बना है. चर्च के मुख्य डोम में प्राकृतिक रंगों से प्रभु यीशु के जीवन से जुड़ी पेंटिंग बनाई गई है, जो अगले 100 साल तक खराब नहीं होगी. इसके अलावा चर्च में प्रभु यीशु के 12 शिष्यों की मूर्तियां भी लगाई गई हैं.

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