झाबुआ।मध्यप्रदेश में जिस किसान ऋण माफी को लेकर कमलनाथ ने सरकार बनाई थी, उसी योजना के चलते अब झाबुआ के कई किसान डिफाल्टर साबित हो गए हैं. तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने जय किसान ऋण माफी योजना के तहत प्रदेश के लाखों किसानों को कर्ज माफ करने का वादा किया था, लेकिन मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार के गिरते ही शिवराज सरकार ने इस योजना से हाथ खींच लिए. इस योजना के भरोसे वे ईमानदार किसान डिफाल्टर हो गए जो हर साल अपना कर्ज समय पर भरा करते थे. झाबुआ में एक ओर कोरोना के चलते रबी की फसल का सही मूल्य किसानों को नहीं मिल पाया है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान सहना पड़ा तो वहीं दूसरी ओर बैंक किसानों को नोटिस थमा कर मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है.
किसानों को मिलने लगे ऋण भरने के नोटिस
मध्यप्रदेश में सरकार के अदला-बदली के चलते जय किसान ऋण माफी योजना खटाई में पड़ गई है. आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले में इस योजना का लाभ लेने के लिए इनका 91,254 किसानों ने पंजीयन कराया था. कृषि विभाग ने 88,187 किसानों का डाटा ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट किया था, जिसमें से 64,720 किसानों को इस योजना का लाभ भी मिला है. जिले में 64,720 किसानों का 425 रुपए का कॉपरेटिव और नेशनल बैंक का ऋण सरकार ने माफ किया, बाकी बचे किसानों की ऋण माफी होती उससे पहले कमलनाथ सरकार गिर गई. अब जिले के 26,534 किसानों को अपना ऋण माफ होने का इंतजार है. जिले के रायपुरिया में किसानों का ऋण माफ होना तो दूर कई किसानों को बैंकों से ऋण भरने के नोटिस मिलने लगे हैं.