झाबुआ।पूरा देश इस समय कोरोना की चपेट में है. जिसके चलते लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की जा रही है. लेकिन पिटोल बॉर्डर सीमा से प्रवासी मजदूरों को उप्र ले जाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. आलम ये है कि बस के अंदर तो मजदूरों को ठसाठस भरा ही जा रहा है, बस के ऊपर भी भारी संख्या में मजदूर प्रशासन के नियमों को ताक पर रखकर यात्रा कर रहे हैं. जिससे संक्रमण का खतरा बना हुआ है.
पिटोल बॉर्डर सीमा में उड़ी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां, भेड़-बकरियों की तरह बस में भरे मजदूर - jhabua news
झाबुआ के पिटोल बार्डर सीमा में गुजरात से आए प्रवासी मजदूरों को उनके गृहराज्. उप्र ले जाया जा रहा है. इस दौरान प्रशासन की तरफ से घोर लापरवाही की जा रही है. जिसके चलते मजदूरों को सरकार के नियमों को ताक पर रखकर भेड़-बकरियों की तरह ठूस-ठूस कर बस में भरा जा रहा है.
दरअसल, ये सभी प्रवासी मजदूर हैं, जो उप्र जा रहे हैं. इन्हें गुजरात से मप्र लाया गया है. जहां से प्रदेश सरकार बस के माध्यम से इन्हें उनके गृह राज्य उप्र भेज रही है.लेकिन इस दौरान घोर लापरवाही की जा रही है. इन मजदूरों ने तो मास्क लगाया हुआ है और न ही सेनिटाइजर की कोई व्यवस्था है. इतना ही नहीं बस के अंदर और बस की छत पर भारी संख्या में मजदूर ठूस-ठूस के भरे जा रहे हैं. जिससे सरकार के तमाम नियमों सरेआम धज्जियां उड़ रही हैं और सरकार संक्रमण के बड़े खतरे को बुलावा दे रही है.
लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों मे काम कर रहे लाखों मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया. लेकिन इतने दिन-तक कोरोना संक्रमण के भय से सरकारों द्वारा मजदूरों को लाने का कोई प्रयास नहीं किया गया. अब जब स्थिति सुधरी है तो इन्हें वापस अपने राज्य बुलाया जा रहा है. लेकिन इस तरह लापरवाही बरतते हुए मजदूरों को पहुंचाना भारी चूक साबित हो सकती है. क्योंकि एक बस में 150-200 लोग यात्रा कर रहे हैं, इसमें से किसी एक को भी कोरोना संक्रमण पाया गया तो सरकार के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी.