झाबुआ।जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर देवझिरी गांव में सैकड़ों सालों पुरानी गोमुख से एक जल धारा अविरल बह रही है. कल-कल बहती इस अविरल जलधारा के पास एक कुंड बना है, जिसे गोमुख कुंड कहा जाता है. हैरानियत तो तब होती है, जब ये पता चलता है कि इस जलधारा का पानी सालभर एक समान रहता है, न तो बढ़ता है और न ही घटता. आदिवासी समुदाय के लिए ये एक तीर्थ स्थल है. निमाड़ के संत सिंगाजी महाराज ने कैसे तपस्या कर मां नर्मदा को प्रसन्न किया और फलस्वरूप कैसे गुप्त नर्मदा झाबुआ में आईं, जानें इस खास रिपोर्ट में-
संत सिंगाजी महाराज की भक्ति से प्रसन्न हुईं थीं मां नर्मदा
सैकड़ों सालों से झाबुआ के जंगलों में गुप्त नर्मदा का जल गोमुख से अविरल कल-कल करता बह रहा है. मां नर्मदा को अपनी तपस्या और भक्ति से झाबुआ लाने का श्रेय निमाड़ के प्रसिद्ध संत सिंगाजी महाराज को जाता है. बता दें, इस स्थान को निमाड़ के संत सिंगाजी महाराज ने तपस्या स्थली के रूप में जाना जाता है. कहा जाता है कि संत सिंगाजी महाराज की भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर मां नर्मदा अविरल बहती जल धारा गुप्त नर्मदा के रूप में झाबुआ में अवतरित हुई हैं.
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मां नर्मदा ने दिया था अवतरित होने का आशीर्वाद
कहा जाता है कि सालों भ्रमण के दौरान संत सिंगाजी महाराज झाबुआ आए थे. इस दौरान संत सिंगाजी ने अपना काफी समय ग्राम देवझिरी के संकट मोचन महादेव मंदिर में भक्ति में लीन होकर गुजरा था. उस वक्त देवझिरी में घनघोर जंगल हुआ करता था. इस दौरान संत सिंगाजी महाराज रोज नर्मदा स्नान करने के लिए गुप्त मार्ग से नर्मदा नदी के तट पर पहुंचते थे और वहां से जल लाकर शिवजी का अभिषेक करते थे. उनकी भक्ति इतनी प्रगाढ़ और जीवंत थी कि शारीरिक रूप से कमजोर और बीमार होने पर नर्मदा ने उन्हें दर्शन देकर उनकी भक्तिस्थल पर अवतरित होने का आशीर्वाद दिया था. तब से लेकर आज तक गुप्त नर्मदा की जलधारा हर मौसम में ऐसे ही एक समान बहती हैं, वहीं जिस कुंड में जलधारा गिरती है उसकी बनावट ऐसी है कि उसमें पानी न तो घटता है और न ही बढ़ता है.
आदिवासी समुदाय के लिए तीर्थ स्थल
झाबुआ और देवझिरी समेत आसपास के लोग और आदिवासी समुदाय इस स्थान तीर्थस्थल मानते हैं. लोग इस जल में स्नान करना पवित्र मानते हैं. गोमुख के पास बने दूसरे कुंड में गुप्त नर्मदा का जल जाता है, जिसमें आदिवासी जनजाति सुमदाय के लोग अपने परिजनों की अस्थियों का विसर्जन करते हैं. आदिवासी समुदाय इस स्थान में गहरी आस्था रखते हैं.