जबलपुर। मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में हर रोज नाबालिग लड़कियों और महिलाओं से छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न, बलात्कार और अपहरण जैसे मामले सामने आते हैं. इनमें से भी कुछ ही मामले थाने तक पहुंचते हैं. जिनमें शिकायतकर्ता हिम्मत जुटाकर रिपोर्ट दर्ज करवाता है तो वहीं कुछ मामले फर्जी भी होते हैं. कई मामलों में तो पीड़ित को न्याय भी नहीं मिल पाता, जिससे अपराधियों के हौसले और बुलंद हो जाते हैं.
महिलाओं से जुड़े अपराध 2018, 2019 और 2020 कि यदि तुलना की जाए तो 2020 में महिलाओं पर हुए मामलों में कुछ कमी देखने को मिल रही है. हालांकि इसकी एक वजह कोरोना संक्रमण भी बताई जा रही है. क्योंकि लंबे समय तक लॉकडाउन रहा और सामाजिक गतिविधियां लगभग बंद रही, इसलिए महिलाओं के खिलाफ मामले भी कम दर्ज किए गए . यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो रोज कम से कम तीन महिलाओं के साथ कहीं ना कहीं आपराधिक घटनाएं घट रही हैं.
- क्या कहते हैं आंकड़े?
अपराध | 2018 | 2019 | 2020 |
हत्या | 19 | 12 | 11 |
हत्या का प्रयास | 12 | 4 | 5 |
छेड़छाड़ | 328 | 291 | 263 |
अपहरण | 288 | 346 | 265 |
रेप | 163 | 107 | 156 |
आत्महत्या के लिए मजबूर करना | 23 | 22 | 21 |
दहेज हत्या | 14 | 20 | 15 |
दहेज प्रताड़ना | 113 | 186 | 170 |
लूट | 47 | 19 | 6 |
कानून में महिलाओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया है. छेड़छाड़ तो दूर सामान्य तौर पर घूरने को भी अपराध की श्रेणी में माना गया है. लेकिन इसके बावजूद महिलाओं के खिलाफ अपराध सामने आ रहे हैं. हालांकि सरकार की ओर से महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए तीन स्तरीय व्यवस्था की गई है:-
1. पुलिस की कोड रेड टीम
महिला पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में पुलिस ने हर जिले में कोड रेट टीम बना कर रखी है. यह सोशल पुलिसिंग का एक जरिया है. इसका एक टोल फ्री नंबर 1090 है. इस पर शिकायत करके कोड रेड टीम को तुरंत बुलाया जा सकता है.
कोड रेड टीम के पुलिसकर्मी सादा वर्दी में भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी गश्त करते हैं. इन पुलिस अधिकारियों का दावा है कि यदि कोई महिलाओं और लड़कियों से बदतमीजी करता हुआ नजर आता है तो उसको तुरंत धर दबोचा जाता है. कोड रेड में जरूरी नहीं है कि मामले को दर्ज ही किया जाए. समझाइश देकर भी लोगों को छोड़ दिया जाता है.