झाबुआ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में पश्चिमी मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ की जिस प्राचीन हलमा परंपरा का जिक्र किया था, उसे करीब से जानने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू फरवरी माह के आखिर में यहां आ सकती हैं. संभावना है कि वे 26 फरवरी को शिवगंगा संगठन द्वारा जल संरक्षण के लिए आयोजित किए जाने वाले शिवजी का हलमा कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगी. ऐसे में शिवगंगा संगठन के साथ प्रशासन भी अपने स्तर पर तैयारियों में जुटा है. इस बार हलमा का आयोजन हाथीपावा पहाड़ी के गोपालपुरा वाले हिस्से में करीब 40 हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाएगा.
झाबुआ आ सकती हैं राष्ट्रपति:यहां 25 फरवरी की शाम तक करीब 40 हजार ग्रामीणों के जुटने का दावा किया जा रहा है. इसमें झाबुआ और आलीराजपुर जिले के साथ पहली बार सीमावर्ती गुजरात राज्य की फतेपुरा व संतराम तहसील और राजस्थान राज्य की आनंदपुरी व गांगड़तलाई के भी ग्रामीण शामिल होंगे. इनके अलावा धार जिले की सरदारपुर तहसील के ग्रामीण भी सहभागिता करेंगे.
इन सभी के रहने का इंतजाम गोपालपुरा में ही हवाई पट्टी के पास के हिस्से में बड़े से टेंट में किया जाएगा. अगले दिन यानी 26 फरवरी की सुबह-सुबह ग्रामीण गैती, फावड़ा और तगारी उठाकर श्रमदान के लिए निकल पड़ेंगे. इनके द्वारा अलग-अलग सेक्टर में लगभग 40 हजार जल संरचनाओं (कंटूर ट्रेंच) का निर्माण किया जाएगा. मानव श्रम की इसी सार्थकता को देखने के लिए राष्ट्रपति यहां आएंगी.
24 करोड़ लीटर पानी सीधे जमीन में उतरेगा: शिवगंगा संगठन के भंवर सिंह ने बताया दो फीट लंबे, दो फीट गहरे और दो फीट चौड़े कंटूर ट्रेंच के जरिए एक बार की बारिश में करीब 200 लीटर पानी सीधे जमीन में उतरता है. एक वर्ष काल में औसतन 30 बार अच्छी बारिश होती है. यानी एक ट्रेंच के जरिए एक वर्षाकाल में 6 हजार लीटर पानी सीधे जमीन में उतरेगा. इस हिसाब से 40 हजार कंटूर ट्रेंच के जरिए एक वर्षाकाल में करीब एक मीटर लंबी और एक मीटर चौड़ी जल संरचना 24 करोड़ लीटर पानी सीधे जमीन में उतरकर भू जल स्तर को बढ़ाने का काम करेगा.