भोपाल। मध्य प्रदेश में आगामी समय में नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव होने वाले हैं, इन चुनावों को वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले के लिटमस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है. इसकी वजह है क्योंकि निकाय और विधानसभा के चुनाव में ज्यादा अंतर नहीं रहने वाला है. राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग को नगरीय और पंचायत चुनाव में आरक्षण दिए जाने का मामले को लेकर काफी अरसे तक खींचतान चली और आखिर में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर आरक्षण के साथ अब चुनाव होना है. दोनों ही राजनीतिक दल अब तैयारियों में जुट गए हैं.
क्या है एमपी में निकाय, पंचायतों की स्थिति: राज्य में निकायों की स्थिति पर गौर करें तो कुल 16 नगर निगम हैं, जबकि 100 नगर पालिकाएं और 264 नगर पंचायतें हैं तो वहीं, ग्राम पंचायतों की संख्या 23 हजार से ज्यादा हैं. वर्ष 2014 में हुए चुनाव में भाजपा ने सभी 16 नगर निगमों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, रीवा, उज्जैन, खंडवा, बुरहानपुर, रतलाम, देवास, सिंगरोली, कटनी, सतना, छिंदवाड़ा और मुरैना में जीत हासिल की थी. इसी तरह नगर पालिका, नगर पंचायत में भी भाजपा का दबदबा रहा था.
बिना झंड़े के होंगे चुनाव:पंचायतों के चुनाव गैर दलीय आधार पर होते है, इसलिए जो जीतता है उसे दोनों दल अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार बताते और प्रचारित करते हैं. पिछले नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव में लगभग चार माह का अंतर था, मगर इस बार इस बात की संभावना है कि यह अंतर कम रहेगा. वहीं विधानसभा चुनाव और निकाय चुनाव में अंतर लगभग डेढ साल ही रहने वाला है. विधानसभा चुनाव वर्ष 2023 में होंगे.