झाबुआ। विश्व स्वास्थ संगठन(WHO) और भारत सरकार ने देश को मलेरिया मुक्त करने के लिए 2027 की डेडलाइन तय की है. इसी डेडलाइन को पूरा करने के लिए आदिवासी बाहुल्य जिले में स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया उन्मूलन के लिए कई तरह के कार्यक्रमों का संचालन शुरू किया है. जिसके पहले पड़ाव में मलेरिया से बचाव के लिए जिले के 755 गांव में 10 लाख से ज्यादा मच्छरदानी का वितरण किया गया.
बांटी गई 10 लाख मच्छरदानी ये भी पढ़ें-कोरोना महामारी के बीच बढ़ रहा मलेरिया का खतरा, गांव-गांव घूम रहा मलेरिया रथ 11 हजार 617 से 29 पर पहुंचा मामला
स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण स्तर पर मलेरिया की रोकथाम के लिए आशा कार्यकर्ताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. इन कार्यकर्ताओं को न सिर्फ मलेरिया की जांच बल्कि इसके उपचार का प्रशिक्षण भी दिया गया है. जिसके चलते साल 2015 के बाद बीते पांच सालों में मलेरिया के मामलों में भारी कमी देखी गई है. 2015 में मलेरिया के 11 हजार 617 मामले सामने आए थे, वहीं जनवरी 2020 से लेकर 23 जून 2020 तक महज 29 मलेरिया के मामले ही जिले में सामने आए हैं.
इस साल जिले में चार लाख से ज्यादा मच्छरदानी का वितरण ग्रामीण इलाकों में किया जा रहा है. बरसात के दिनों में मच्छरों के प्रकोप को रोकने के लिए लारवा भक्षी मछलियों का प्रयोग भी मलेरिया विभाग करता है, जिससे मादा एनोफिलीज मच्छरों के प्रकोप को रोका जा सके.
बता दें मलेरिया की बीमारी मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होती है. इन मच्छरों की उत्पत्ति गंदे और दूषित पानी में ज्यादा होती है. बारिश के दिनों में किसी भी तरह के सामान या पात्र या गड्ढों में पानी जमा न होने दें. ऐसा करने से मलेरिया से बचा जा सकता है.