झाबुआ। नगरीय निकाय चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है. नामांकन फार्म भरे जा रहे हैं. दावेदार भी वार्ड में सक्रिय हो गए हैं. चुनाव की इस प्रक्रिया के बीच एक ऐसे शख्स भी उम्मीदवार हैं. जिन्हें कभी हार नहीं मिली. उन्होंने कई बार वार्ड बदले लेकिन इसका असर उनकी जीत पर कतई नहीं पड़ा. हर बार उनके नाम पर मतदाताओं ने पूरे विश्वास के साथ अपनी मुहर लगाई.
क्या है खास बातःदो अलग अलग वार्ड से चुनाव लड़कर भी जीत हासिल करने वाले वे एकमात्र जनप्रतिनिधि हैं। इन खास उम्मीदवार का नाम है जाकिर कुरैशी. अपना पहला चुनाव उन्होंने वार्ड क्रमांक 2 से भाजपा प्रत्याशी के रूप में लड़ा था. यहां पहले इन्हें 5 वोट से विजय घोषित कर दिया गया था. बाद में रिकाउंटिंग हुई तो इनके प्रतिद्वंद्वी साबिर अली ठेकेदार के वोट भी इनके बराबर आ गए. ऐसे में गोटी डालकर हारजीत का फैसला करना पड़ा. वह भी कुरैशी के हक में गया. वर्ष 2004 में जाकिर ने वार्ड क्रमांक 3 से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर सर्वाधिक 361 मतों के अंतर से जीत हासिल की. वहीं 2012 में फिर से वार्ड क्रमांक 2 से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े होकर 21 मत से जीते. जबकि 2017 में जाकिर ने वार्ड क्रमांक 3 से महिला सीट होने के कारण अपनी बेटी शहनाज को निर्दलीय चुनाव लड़वाया. यहां भी उन्होंने 150 मतों के अंतर से जीत हासिल की. यानी उनके वार्ड के मतदाताओं का उन पर पूरा विश्वास है.
मिलिए ऐसे उम्मीदवार से जिन्हें वोटरों ने कभी नाउम्मीद नहीं किया, वार्ड बदले परिणाम नहीं - झाबुआ निकाय चुनाव वोटरों ने कभी नाउम्मीद नहीं किया
सभासद के चुनाव में मध्य प्रदेश के झाबुआ में एक ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनका जीत का रिकार्ड अभी तक टूटा नहीं है. चाहे वह स्वयं खड़े हुए या अपने परिवारीजन को खड़ा किया हो, परिणाम हमेशा उन्हीं के हक में रहा. पार्टी से लड़े, निर्दयलीय लड़े वार्ड भी बार बार बदले लेकिन जीत का सेहरा उन्हीं के सिर बंधा.
फिर लड़ेंगे वार्ड दो सेः आगामी निकाय चुनाव में एक बार फिर जाकिर वार्ड दो से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें पूरा विश्वास है कि वह ये चुनाव भी जीतेंगे. उनका कहना है कि लोग पहले आपके कार्य को देखते है. इसके बाद में पार्टी. लोग आपके कार्य के आधार पर आपका आकलन करते हैं. पार्टी के सिंबल से ज्यादा आपके काम का महत्व होता है. उनका मामना है मतदाता बेहद जागरूक और समझदार होते हैं. वे पूरी तरह से जांच परख कर ही अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं.