झाबुआ।लॉ कॉलेज के निर्माण के लिए झाबुआ से लगे ग्राम चारोलीपाड़ा में सर्वे नंबर 364 की 4 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई है. चूंकि जमीन आवंटन के लिए पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन करनी होती है, लेकिन इसमें तकनीकी दिक्कत आ रही है जिसके चलते अब तक मामला अधर में लटका है. जबकि शासन से लॉ कॉलेज के भवन निर्माण के लिए 7 करोड़ 59 लाख रुपए पहले से ही स्वीकृत होकर रखे हैं. यही नहीं लॉ कॉलेज के लिए दो प्रोफेसर डॉ. प्रवीण चौधरी और डॉ. संगीता मसानी की नियुक्ति भी की जा चुकी है. चूंकि यहां लॉ कॉलेज का संचालन नहीं हो रहा है. लिहाजा दोनों प्रोफेसर वर्तमान में डॉ. बीआर आंबेडकर सामाजिक विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्ति पर सेवाएं दे रहे हैं.
2012 में बंद हो गया था कॉलेज:दरअसल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने वर्ष 2010 में पूरे मध्यप्रदेश में लॉ कॉलेज बंद करने के आदेश जारी कर दिए थे. इसके पीछे तर्क दिया कि लॉ एक व्यवसायिक पाठ्यक्रम है और इसके लिए पूरा स्ट्रक्चर और स्टॉफ अलग से होना चाहिए. जबकि ये कॉलेज एक फैकल्टी के रूप में संचालित हो रहे थे. ऐसे में झाबुआ पीजी कॉलेज में वर्ष 2012 में आखरी बैच की पढ़ाई पूरी होने के बाद यहां क्लास का संचालन बंद हो गया. इसके बाद साल 2013 में मध्यप्रदेश शासन ने पूरे प्रदेश में 31 लॉ कॉलेज स्वीकृत करते हुए पद भी मंजूर कर दिए. तब से अब तक झाबुआ में जमीन आवंटन के चक्कर में पूरा मामला उलझा हुआ है. पूर्व में एक बार जमीन आवंटन होने के बाद उसे निरस्त करवाना पड़ा.
बताया जाता है कि फरवरी 2020 में शासन ने लॉ कॉलेज के नए भवन निर्माण के लिए रतनपुरा क्षेत्र में आदर्श महाविद्यालय के पास जमीन आवंटित कर दी थी. इसके लिए निर्माण एजेंसी पीआईयू को बनाया गया. जब तकनीकी टीम ने निरीक्षण किया तो पता चला कि जमीन भवन निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं है. यहां पर पहाड़ी को समतल करना पड़ता, जिससे निर्माण की लागत बढ़ जाती. इसके अलावा कई पेड़ भी काटने पड़ते. उसके बाद जमीन आवंटन निरस्त कर दिया गया. फिर नए सिरे से जमीन चिह्नित करने की प्रक्रिया संपन्न की गई.