झाबुआ। झाबुआ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को प्रत्याशी बनाया है. जैसे ही भूरिया के नाम का ऐलान हुआ झाबुआ में उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई. कांग्रेस ने एक बार फिर कांतिलाल भूरिया को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. क्योंकि बीजेपी भी इस सीट पर पूरा दम लगा रही है.
कांतिलाल भूरिया का सियासी सफर कांग्रेस के बड़े आदिवासी नेता माने जाते हैं कांतिलाल भूरिया
कांतिलाल भूरिया कांग्रेस के बड़े आदिवासी नेता माने जाते हैं. वे अब तक पांच बार लोकसभा चुनाव तो पांच बार विधानसभा चुनाव भी जीत चुके हैं. केंद्र की यूपीए सरकार में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं. तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा वें मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. यही वजह है कि कांतिलाल भूरिया के सियासी अनुभव को तरहीज देते हुए पार्टी ने उन्हें उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया है.
विधानसभा चुनाव में बेटे को मिली थी हार
इससे पहले 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने झाबुआ सीट पर उनके बेटे विक्रांत भूरिया को टिकट दिया था. लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. विक्रांत को बीजेपी के जीएस डामौर ने हराया था. विक्रांत की हार का कारण बने थे कांग्रेस के बागी प्रत्याशी जेवियर मेड़ा. जेवियर मेड़ा के निर्दलीय चुनाव लड़ने से विक्रांत चुनाव हार गए थे. लेकिन बीजेपी प्रत्याशी जीएस डामोर के लोकसभा चुनाव जीतने से उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था. जिससे झाबुआ सीट पर उपचुनाव हो रहा है.
कांग्रेस को एकजुट बनाए रखना कांतिलाल भूरिया के लिए होगी बड़ी चुनौती
कांतिलाल भूरिया को झाबुआ में कांग्रेस को एक जुट बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी. क्योंकि इस सीट से पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे. ऐसे में अब उनका समर्थन बनाए रखना भी भूरिया के लिए बड़ी चुनौती होगी. क्योंकि इस सीट पर जब-जब भी कांग्रेस को हार मिली है. उसमें अपनो की बगावत ज्यादा रही है. ऐसे में यहां कांग्रेस को एकजुट बनाकर चुनाव जीतना एक बड़ी चुनौती होगी. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि लोकसभा में हार का सामना कर चुके भूरिया इस बार क्या कमाल दिखा पाएंगे.