झाबुआ।इन दिनों आदिवासी अंचल में वनवासी लीला का मंचन किया जा रहा है. इस वनवासी लीला की खासियत यह हैं कि, इसके मुख्य पात्र शबरी और निषादराज दोनों ही आदिवासी समाज से ताल्लुक रखते हैं. वनवासी लीला को मध्यप्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. प्रदेश की 230 विधानसभा सीट में से भाजपा की नजर 47 आदिवासी सीटों पर हैं. नेताओं का मानना है कि जीत की राह यहीं से तय होगी, क्योंकि इन सीटों के अलावा भी कई सीट पर आदिवासी वोट बैंक का सीधा दखल है. उधर वनवासी लीला आयोजन पर सवाल खड़े करते हुए युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने कहा कि भाजपा हमेशा से ही आदिवासी समाज को सिर्फ एक वोट बैंक के रूप में ही देखती आई है, लेकिन इस बार उनके मंसूबे कामयाब नहीं होंगे. (jhabua vanvasi leela)
भाजपा की आदिवासी क्षेत्र पर निगाह: माना जा रहा है कि, मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में सत्ता की चाबी प्रदेश के आदिवासी वर्ग के हाथ में होगी. लिहाजा सरकार का पूरा फोकस ही आदिवासी क्षेत्रों पर है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने झाबुआ कलेक्टर और एसपी पर कार्रवाई कर इस बार के स्पष्ट संकेत दिए थे. इसके अलावा सरकार वनवासी लीला के जरिए भी आदिवासी वोटर को साधने की कवायद में लगी है. वनवासी लीला के मुख्य पात्र भी निषादराज और शबरी है जो वनवासी समाज से ताल्लुक रखते हैं. भगवान राम को बेर खिलाने वाली शबरी आदिवासी है तो वहीं प्रभु राम को गंगा पार कराने वाले निषादराज भी आदिवासी ही थे. ये दोनों ही वनवासी लीला के अहम किरदार है. यानी कहीं न कहीं सरकार की मंशा आदिवासी वोट बैंक को साधने की है. (mp election 2023)
झाबुआ की तीन सीटों पर है कांग्रेस का कब्जा:झाबुआ जिले में भाजपा अजजा मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक रखने के पीछे का मकसद ये भी हो सकता है कि यहां की तीनों विधानसभा सीट जो पहले भाजपा के पास थी वहां अभी कांग्रेस के विधायक है. झाबुआ विधानसभा में हुए उप चुनाव में भाजपा को हार झेलना पड़ी थी. इसी तरह आलीराजपुर जिले की दो में से एक विधानसभा पर कांग्रेस का कब्जा है. पूर्व में इन दोनों जगह ही भाजपा के विधायक थे जोबट विधानसभा में तो भाजपा ने उप चुनाव में जीत हासिल की थी नहीं तो यहां भी भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था.