झाबुआ। इन दिनों अयोध्या के राम मंदिर की चर्चा पूरे देश में जोर-शोर से हो रही है. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद रामलला भव्य मंदिर में विराजमान होंगे. मंदिर के उद्घाटन का समय ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहा है. इसके इतिहास और आंदोलन को उतना ही याद किया जा रहा है. ऐसे में राम जन्मभूमि आंदोलन में कार सेवक के रूप में सक्रिय भूमिका निभाने वाले झाबुआ के नारायणसिंह ठाकुर ने कार सेवा के दौरान के अपने संस्मरण साझा किए. उन्होंने बताया हम लोग जब इंदौर से अयोध्या के लिए रवाना हो रहे थे, तो हमें 5 किलो सत्तू और चने दिए गए थे. ताकि आपात स्थिति में इन्हें खाकर हम अपना कार्य पूर्ण करके ही लौटें.
सर्वस्व न्यौछावर करने की शपथ लेकर निकले थे
1990 में जिस वक्त राम जन्मभूमि आंदोलन अपने चरम पर था. उस वक्त झाबुआ के नारायण सिंह ठाकुर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में गट नायक हुआ करते थे. उन्होंने बताया झाबुआ में 26 कार सेवकों का जत्था तैयार हुआ था. वाहिनी प्रमुख स्वर्गीय उद्धव गिदवानी थे. सभी को गोपाल मंदिर में आरएसएस के तत्कालीन विभाग प्रचारक श्रीराम अरावकर, जिला प्रचारक शशिकांत फड़के और तहसील रीसील प्रचारक मंगेश पालनकर ने राम जन्म भूमि के लिए अपना तन, मन, धन और सर्वस्व न्यौछावर करने की शपथ दिलाई थी. इसके बाद अगले दिन तड़के 4 बजे पूरा जत्था इंदौर के लिए रवाना हो गया था.
गलियां फूलों से लद गई, मिठाईवाले ने मुफ्त में बांटी मिठाई
नारायण सिंह ठाकुर ने बताया जिस दिन हम लोग इंदौर पहुंचे, उस दिन राजवाड़ा क्षेत्र में भव्य रैली निकाली गई थी. इस दौरान सारी गलियां फूलों से पट गई. नारायण सिंह याद करते हुए बताते हैं, इंदौर के राजवाड़ा के पीछे गली में एक मिठाई की दुकान थी. दुकानदार ने पूरी दुकान कार सेवकों के लिए खोल दी थी. इतना जबरदस्त उत्साह था. जब इंदौर से रवाना हो रहे थे, तो सभी कार सेवकों को 5 किलो सत्तू और चने दिए गए थे, ताकि आपात स्थिति में जब भोजन नहीं मिले तो इससे अपनी भूख मिटा सके. इंदौर से सभी कार सेवक पहले कटनी पहुंचे, फिर सड़क मार्ग से सतना गए. जहां सरस्वती शिशु मंदिर में भोजन की व्यवस्था की गई थी.