झाबुआ।मध्यप्रदेश में चुनावी प्रचार-प्रसार जोरों पर है. सभी पार्टियों ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. इसी सिलसिले में आज ईटीवी भारत महिला प्रत्याशियों को झाबुआ में पहली बार टिकट देने और उनके चुनाव लड़ने से जुड़ी जानकारी लेकर आया है. दरअसल, संसद में हाल ही में महिला आरक्षण बिल पास हुआ, जिसपर राष्ट्रपति मुहर लगा दी है. इसपर राजनीतिक गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप और चर्चाओं का दौर जारी है. इस बिल की संसद में बीजेपी और कांग्रेस समेत सभी दलों ने पैरवी की थी, लेकिन धरातल पर इसके मायने उलट गए हैं. दोनों ही दल इस मामले में चुनावी बिसात के बीच काफी पीछे खड़े नजर आए.
किस पार्टी ने बनाया महिला उम्मीदवार:अगर हम महिला उम्मीदवारी की बात करें, तो पहली बार 1952 में वुमन कैंडिडेट को प्रदेश में किसी पार्टी ने चुनावी मैदान में उतारा. सीट का नाम झाबुआ विधानसभा है. तब झाबुआ विधानसभा का बंटवारा नहीं हुआ था. समाजवादी पार्टी ने यहां से जमुना देवी को हराया था. तब से लेकर अबतक लगभग 15 बार चुनाव हो चुके हैं. इसमें दो उपचुनाव भी शामिल हैं. यहां से सबसे ज्यादा 12 बार कांग्रेस ने महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया. वहीं, भाजपा 10 बार ही महिला उम्मीदवार मैदान में उतार सकी है. इनके अलावा, सपा, बसपा, एनसीपी और जद ने एक-एक बार महिला उम्मीदवार को चुनाव लड़वाया. वहीं, 7 महिलाएं अपना भाग्य लेकर निर्दलीय मैदान उतरकर किस्मत आजमा चुकी है. हालांकि, यहां से 1967 से 1977 के बीच किसी भी सीट पर किसी महिला ने चुनाव नहीं लड़ा था.
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किसने सबसे ज्यादा चुनाव लड़े:झाबुआ जिले की विधानसभा सीटों की बात की जाए, तो सबसे ज्यादा चुनाव गंगा बारिया ने लड़ा. वे 7 बार चुनावी मैदान में उतरी. उन्होंने अपना पहला चुनाव 1957 में जोबट विधानसभा से लड़ा, और यहां से जीत हासिल की. इसके अलावा उन्होंने झाबुआ विधानसभा से तीन बार चुनाव लड़े. इसमें दो बार हार का सामना करना पड़ा, तो एक चुनाव में जीत हासिल की.
गंगाबाई के बाद यहां से सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने वाली, निर्मला भूरिया हैं. वे यहां से 6 बार चुनावी मैदान में उतरीं. इसमें उन्हें चार बार जीत मिली. भूरिया के अलावा सुलोचना रावत ने यहां से चार चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें तीन बार जीत मिली.
(ये पांचों विधानसभा सीट पर महिलाओं के चुनाव लड़ने का लेखा जोखा)
1. झाबुआ विधानसभा:
1952में जब मध्य प्रदेश मध्य भारत हुआ करता था, उस वक्त 1952 के चुनाव में पहली बार समाजवादी पार्टी ने झाबुआ से महिला प्रत्याशी के रूप में जमुनादेवी को टिकट दिया था. इस समय समाजवादी नेता मामा बालेश्वर दयाल का पूरे क्षेत्र में गहरा प्रभाव था. लिहाजा, पहले ही चुनाव में जमुनादेवी ने जीत हासिल की. 1962 ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पहली बार झाबुआ विधानसभा से महिला प्रत्याशी के रूप में गंगाबाई बारिया को चुनाव लड़ाया. हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 1972 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा महिला प्रत्याशी के रूप में गंगाबाई को टिकट दिया. वे विजय रही. 1998 में कांग्रेस ने स्वरूपबेन भाबर को उम्मीदवार बनाया. जबकि, भाजपा ने पहली बार महिला प्रत्याशी के रूप में गंगाबाई को टिकट दिया. इस चुनाव में स्वरूप बेन को जीत मिली. 2003में चुनाव में फिर से कांग्रेस ने स्वरूपबेन भाबर को टिकट दिया. इस बार वे हार गई. 2008: चुनाव में बीएसपी ने महिला प्रत्याशी लता एडविन को चुनाव लड़वाया. हालांकि, वे हार गई. 2013 में चुनाव में दो निर्दलीय महिला प्रत्याशी कलावती भूरिया और यशविंता मोहनिया ने झाबुआ विधानसभा से चुनाव लड़ा. दोनों को पराजय का सामना करना पड़ा.