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कड़कनाथ के शौकीनों के लिए ये जगह है खास, ठंड में बढ़ जाती है डिमांड

ठंड के मौसम में कड़कनाथ मुर्गे की मांग अधिक हो जाती है. इसका मांस अन्य प्रजातियों के मुर्गे की तुलना में ज्यादा स्वादिष्ट होता है. इसलिए लोग इसे खासा पसंद करते हैं.

Karkanath demands in the cold
ठंड में कड़कनाथ की मांग

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Published : Nov 13, 2020, 4:14 PM IST

झाबुआ। ठंड के साथ अब आदिवासी अंचल के कालामासी मुर्गे की मांग बढ़ने लगी है. झाबुआ की मूल प्रजाति कड़कनाथ की मांग इसके गुणों के चलते देशव्यापी होने लगी है. अपने रंग-रूप, खास गुणों के चलते नॉन वेज पसंद करने वाले लोगों की यह पहली पसंद है. दूसरे मुर्गों की अपेक्षा इसमें ज्यादा प्रोटीन होता है. लिहाजा कई बीमारियों में भी कड़कनाथ लाभकारी माना जाता है.

ठंड में कड़कनाथ की मांग

ठंड में बढ़ जाती है मांग

यूं तो झाबुआ में कड़कनाथ मुर्गे की मांग साल भर रहती है. मगर ठंड के दिनों में कड़कनाथ मुर्गे की मांग ज्यादा बढ़ जाती है. इसलिए इसके भाव में भी वृद्धि हो जाती है. आम दिनों में 700-800 रुपये में मिलने वाला मुर्गा 1000 से 1200 रुपये में बिकता है. अपने औषधीय गुणों के चलते ना सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी इसकी मांग बढ़ने लगी है.

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आंध्र प्रदेश से आई कड़कनाथ की मांग

पश्चिमी मध्य प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे आदिवासी बहुल झाबुआ जिले से सटे गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र की सीमाओं के साथ साथ इन राज्यों के बड़े शहरी में कड़कनाथ की डिमांड हमेशा बनी रहती है. मगर अब कड़कनाथ की डिमांड झाबुआ से 1350 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले से भी निकल कर सामने आई है.

कड़कनाथ मुर्गे की विशेषता

कड़कनाथ झाबुआ के स्थानीय प्रजाति का एक मुर्गा है और इसे देसी भाषा में कालामासी कहा जाता है. इसे कालामासी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका रंग, इसके पंख, इसका मीट और खून भी काले रंग का ही होता है. बायलर या अन्य मुर्गों की अपेक्षा इसके मीट में कई तरह के लाभकारी गुण होते हैं.जिसका वैज्ञानिक प्रमाण होने के चलते इसे ह्रदय रोग ,डायबिटीज अस्थमा , क्षय रोग सहित कई जटिल बीमारियों के लिए इसे लाभकारी माना गया है. अधिक प्रोटीन और कम वसा के चलते नॉनवेज खाने वाले लोग इसे बेहद पसंद करते हैं क्योंकि इसे खाना और पचाना बेहद आसान होता है.

अन्य मुर्गों से महंगा

सफेद चिकन के बजाय कड़कनाथ का मुर्गा-मुर्गी काफी महंगा होता है. सफेद चिकन जहां बाजार में 300 से ₹400 प्रति किलो के भाव से मिल जाता है. वहीं कड़कनाथ का चिकन 900 से 12 सौ रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलता है. कड़कनाथ के अंडे का बाजार भाव भी ₹50 से 60 रु में मिलता है. जबकि सामान्य मुर्गी का अंडा 5 से ₹7 में बाजार में मिलता है.

यहां होती है फार्मिंग

झाबुआ में बड़े पैमाने पर कड़कनाथ की फार्मिंग की जाती है. कृषि विज्ञान केंद्र और मध्य प्रदेश शासन के पशुपालन विभाग द्वारा कड़कनाथ कुकुट पालन केंद्र पर मशीनों के माध्यम से कड़कनाथ की ब्रीडिंग कराई जाती है. इसके लिए हैचर ओर केचर मशीनें लगी हैं. इन्हीं केंद्रों के माध्यम से शासन की अनुदान पर कई योजनाएं भी संचालित की जाती हैं.

रोजगार के लिए सरकारी मदद

झाबुआ के कड़कनाथ का व्यापार अब धीरे-धीरे देश के अलग-अलग हिस्सों में भी होने लगा है. मध्य प्रदेश सरकार आदिवासी बहुल जिलों में सरकारी योजना के माध्यम से कड़कनाथ का पालन करवा रही है, ताकि स्थानीय आदिवासी लोगों को रोजगार मिल सके. झाबुआ में पशुपालन विभाग कुक्कुट पालन केंद्र के माध्यम से धार झाबुआ,बड़वानी और अलीराजपुर जिलों के जनजाति समुदाय के लोगों सहित बीपीएल परिवार के किसानों को 300 रुपये में 40 चूजे अनुदान पर देते हैं. ताकि किसान कड़कनाथ पालन कर रोजगार प्राप्त कर सके.

मांग के अनुसार व्यापार का क्षेत्र बड़ा

झाबुआ के कड़कनाथ की मांग न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि देश के अलग-अलग भागों से आने के चलते अब इसका व्यापार व्यवसाय भी बढ़ने लगा है. शिक्षित युवा कड़कनाथ कुक्कुट पालन कर खुद को रोजगार से जोड़ रहे हैं. जिले में बड़ी संख्या में ग्रामीण जनजाति के लोग देसी मुर्गों के साथ कड़कनाथ पाल कर आर्थिक लाभ कमा रहे हैं.

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