झाबुआ। जिले में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत मेघनगर विकासखंड में कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास कलेक्टर के आदेश से पिछले 22 दिनों से बंद पड़ा है. यहां की छात्राएं दो गुटों में बटकर कलेक्टर के पास अपनी समस्या लेकर पहुंची थी, मगर कलेक्टर ने छात्राओं की समस्या सुलझाने की बजाय 11 दिसंबर को हॉस्टल खाली करवा दिया तब से ये हॉस्टल बंद पड़ा है.
झाबुआ कलेक्टर के आदेश से 22 दिनों से बंद पड़ा है सरकारी हॉस्टल, छात्राएं परेशान - Kasturba Gandhi Girls Hostel
झाबुआ जिले में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत मेघनगर विकासखंड में कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास कलेक्टर के आदेश से पिछले 22 दिनों से बंद पड़ा है.
हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं ने पहले अधीक्षका पर खराब खाना देने, प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. बाद में कुछ छात्राओं ने अधीक्षका के पक्ष में कलेक्टर के पास गई थीं. छात्राओं के आपसी विवाद के चलते कलेक्टर ने 11 दिसंबर को हॉस्टल को बंद करवा दिया था, हॉस्टल में रहने वाली इन 140 छात्राओं को अब अपने गांव से रोज मेघनगर स्कूल आना-जाना करना पड़ता है. जिससे न सिर्फ इन्हें आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है. बल्कि समय की भी खूब बर्बादी हो रही है.
हॉस्टल में सरकार ने कक्षा 9वीं से 12वीं तक की 140 छात्राओं के लिए सीटें आरक्षित की है, जिन्हें हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने की सुविधा दी गई है. हॉस्टल पिछले 22 दिनों से बंद है और इसे चालू कराने को लेकर किसी भी जनप्रतिनिधि ने कोई प्रयास नहीं किया एक और कमलनाथ सरकार कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तमाम तरह के दावे कर रही है. तो दूसरी और उन्हीं के राज में आदिवासी छात्राओं को अधिकारियों के सामने अपनी शिकायत लेकर जाना महंगा साबित होता दिखाई दे रहा है.