झाबुआ। मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में परिजन की अकाल मृत्यु के बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए गातला (पत्थर पर उकेरी आकृति) लगाने की परंपरा है. लोगों का मानना है कि मरने वाले की अगर कोई आखिरी इच्छा पूरी नहीं होती, तो उसकी आत्मा भटकती है और परिवार के लोगों के सपने में आकर परेशान करती है जिस वजह से परिवार के लोग आत्मा की शांति के लिए घर या खेत की मेड़ पर गातला की स्थापना पूरे धूमधाम से करते हैं. इस मौके पर पूरी रात महिलाएं गीत के माध्यम से गाथा गाती हैं। पूजा-अर्चना करते हुए पूरे गांव को भोज दिया जाता है. बाद में उस देवस्थान की हर पर्व और शुभ मौके पर परिजन द्वारा पूजा की जाती है
परंपरा में समय के साथ बदलाव
इस परंपरा में समय के साथ बदलाव दिखाई दे रहा है. पहले जहां गातलों में मृत परिजन घोड़ों पर सवार नजर आते थे, वहीं अब इनके अलावा वे कार, बाइक पर भी सवार नजर आ रहे हैं. यही नहीं अब कंधे पर बंदूक और हाथ में तलवार लिए गातला भी ग्रामीण क्षेत्रों में नजर आने लगे हैं. गातलों में पारंपरिक परिधान की जगह मृत परिजनों को अब पैंट-शर्ट पहने भी दिखाया जा रहा है.