झाबुआ। कोरोना संकट ने इंसानी जीवन के हर पक्ष को प्रभावित किया है. मानव जीवन के कुछ हिस्से ज्यादा प्रभावित और कुछ कम प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन हर किसी पक्ष पर इसका कुछ न कुछ असर तो हो ही रहा है. शिक्षा जगत भी एक ऐसा क्षेत्र है, जहां इसका असर देखा जा सकता है. हालात बिगड़े तो सरकार और स्कूल प्रबंधन ने ऑनलाइन क्लासेज शुरू करने का फैसला किया, लेकिन शायद यह प्रक्रिया सभी बच्चों के लिए सहज, सरल और सुगम नहीं रही.
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई का हाल भी कुछ ऐसा ही है. इधर अभिभावक बच्चों की पढ़ाई के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं, लेकिन सवाल है कि वह स्मार्ट फोन और टीवी कैसे खरीदें जब घर चलाना ही मुश्किल हो रहा है.एक बच्चे के अभिभावक ने बताया कि वह मजदूरी करते हैं, छोटी-मोटी खेती का काम करते हैं. गरीब लोग हैं, टीवी, मोबाइल कहां से लाएं ?
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के बच्चों की बेबसी ऐसी है कि उनके सपने तो बड़े हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते वह अक्सर पूरे नहीं हो पाते. ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था राज्य के ग्रामीण अंचलों में पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती है. राजधानी भोपाल से झाबुआ की दूरी यूं तो केवल सात घंटे की है, लेकिन शिक्षा के मामले में ये जिला बेहद पिछड़ा हुआ है. आदिवासी बहुल झाबुआ में साक्षरता दर सिर्फ 43.3 फीसदी है. अब नए तरीके की शिक्षा से पढ़ाई और चौपट होती जा रही है. बच्चों का कहना है कि उनके पास मोबाइल या लैपटॉप नहीं हैं तो पढ़ें कैसे. जिन छात्रों के पास संसाधन है वे भी नेटवर्क की समस्या के कारण नहीं पढ़ पाते.
छात्रों की मानें, तो उनका कहना है कि मोबाइल-लेपटॉप नहीं हैं, तो कैसे पढ़ेंगे. ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई में रूचि भी नहीं होगी. कुछ छात्रों से जब पूछा गया कि ऑनलाइन पढ़ाई क्या है, तो उन्होंने कहा हमें नहीं मालूम.
सरकार ने इस समस्या को भी हल करने की कोशिश की और घर हमारा विद्यालय कार्यक्रम की तर्ज पर 20 जुलाई से दूरदर्शन पर क्लास से संबंधित प्रसारण शुरू किया. जिले में करीब 15 हजार बच्चे ऐसे हैं, जिनके पास टीवी है ना मोबाइल. ऐसे बच्चों के लिए ग्राम पंचायत में प्रसारण देखने की व्यवस्था की गई है, हालांकि इसका फायदा भी होता नहीं दिख रहा.