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जानें कैसे कोरोना महामारी के बीच कई महीनों से आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर ला रहे हैं बैंककर्मी - बैंक में सैनिटाइजर मशीन

आदिवासी बाहुल्य जिला झाबुआ में कोरोना काल के बीच बैंककर्मी अपनी सेवाएं देकर आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर ला रहे हैं. ऐसे में ग्राहकों के साथ-साथ कैसे बैंककर्मियों को कोरोना संक्रमण से बचाया जा रहा है, पढे़ं इस खबर में...

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कितने सुरक्षित बैंककर्मी

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Published : Jul 19, 2020, 4:36 PM IST

Updated : Jul 19, 2020, 5:06 PM IST

झाबुआ।लॉकडाउन के दौरान तेजी से गिरी देश की अर्थव्यवस्था और आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के लिए बैंककर्मी इन दिनों अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं. एक ओर जहां कोरोना महामारी के दौर में लोग एक-दूसरे के संपर्क में आने से कतरा रहे हैं, वहीं इस दौर में बैंककर्मियों द्वारा निभाए जा रहे अहम रोल से समाज का हर वर्ग लाभान्वित हो रहा है.

कितने सुरक्षित बैंककर्मी

कोरोना महामारी के शुरुआती दौर से लेकर अब तक बाजारों में वित्तीय लेन-देन व्यवस्था बनाए रखने के लिए जो काम बैंकिंग स्टॉफ कर रहा है, वह इस दौर में अपने आप में महत्वपूर्ण है. एक ओर जहां देशभर में रोजाना हजारों कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं, ऐसे में बैंक में काम करने वाले स्टॉफ पर भी संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है. वहीं अगर ऐसे में आदिवासी इलाका हो तो वहां संक्रमण फैलने का डर और ज्यादा हो जाता है. कुछ ऐसे ही हालात फिलहाल हैं आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले के, जहां ज्यादातर ग्रामीण बैंक शाखाओं के ग्राहक हैं. वहीं अशिक्षा के अभाव और कोरोना की भयावता से अनजान ग्रामीण बिना किसी एहतियात के बैंक में पहुंच रहे हैं, लिहाजा बैंक प्रबंधन ही अपने स्टाफ की सुरक्षा के लिए ग्राहकों पर भी नजर रख रहा है और कोरोना महामारी से बचाव के लिए पूरे एहतियात बरत रहा है.

थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही


जिले में बैंक पहुंच रहे ग्राहकों के बैंक में प्रवेश से पहले गेट पर उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है. जिसके तहत बिना बिना बॉडी टेंपरेचर किए उन्हें बैंक में अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है.

किया जा रहा सैनिटाइज

बैंक में आने वाले ग्राहकों के लिए प्रवेश द्वार पर सैनिटाइज मशीन रखी गई है. जहां से पहले ग्राहक अपने हाथों को सैनिटाइज करते हैं और फिर अंदर जाते हैं. जानकारी के मुताबिक इन दिनों जिले की बैंक शाखाओं में भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. बैंकों में लगने वाली भीड़ प्रधानमंत्री जनधन खातों में डाली गई राहत राशि, किसान को दी जा रही सम्मान निधि और अब खरीब की सीजन में फसलों के लिए ऋण वितरण के चलते बढ़ रही है. जिसे नियंत्रित कर पाना बैंकों के लिए भी मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में बैंकों में बढ़ती भीड़ का मुद्दा आपदा प्रबंध समिति के बैठक में भी उठ चुका है.

राष्ट्रीयकृत बैंकों में गार्ड तैनात

राष्ट्रीयकृत बैंकों में तैनात गार्डों को बैंक के अंदर से ज्यादा बाहर की व्यवस्थाओं पर नजर रखने के लिए तैनात किया गया है, जिससे लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन न करें. लेकिन लगातार बढ़ती भीड़ के आगे बैंक के गार्ड भी बेबस हैं. इस दौरान ग्राहकों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, बैंकों में सीमित ग्राहकों के प्रवेश के चलते अधिकांश ग्राहकों को बैंक के बाहर कतारों में खड़ा रहना पड़ता है.

कैशियर और क्लेरिकल स्टॉफ को ज्यादा खतरा

बैंक में आ रहे ग्राहकों के साथ बैंक स्टॉफ को भी कोरोना संक्रमण की जद में आने से रोकने के लिए बैंक अपने कर्मचारियों को पूरे सुरक्षा मापदंडों के साथ काम करने के निर्देश दे रहे हैं. हालांकि, बैंक कर्मचारी पूरे सुरक्षा मापदंडों के साथ काम कर रहे हैं लेकिन व्यवहारिक कठिनाइयों के चलते कुछ स्टॉफ अब भी ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. इस दौरान बैंकों के कैशियर और क्लेरिकल स्टॉफ तक कोरोना संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा है. एक ओर जहां कैशियर ग्राहक के हाथों से आने वाली नकदी से बार-बार रूबरू होता है तो वहीं दूसरी ओर स्टॉफ के हाथों तक पहुंचने वाला वाउचर और चेक भी कोरोना का कारण बन सकता है. ऐसे में बार-बार हाथों को सैनिटाइज करने के अलावा इन बैंक कर्मचारियों के पास दूसरा विकल्प नहीं है.

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बैंकिंग सेवाओं के चलते बाजार में नकदी का प्रवाह सुचारु रुप से हो रहा है. संकट काल के इस दौर में अगर बैंक सेवाएं प्रभावित होती हैं तो लाखों लोगों के सामने वित्तीय संकट खड़ा हो सकता है. केंद्र सरकार ने हॉफ स्टॉफ से काम कराने के दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसके बाद जिले में लॉकडाउन 1.0 में तो 50 फिसदी स्टॉफ के साथ काम हुआ लेकिन बैंक शाखाओं में स्टॉफ की कमी के चलते लॉकडाउन के दूसरे चरण 100 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम होने लगा.

Last Updated : Jul 19, 2020, 5:06 PM IST

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