झाबुआ।कहते हैं जहां चाह हो वही राह बन जाती है, कुछ ऐसा ही कर दिखाया है आदिवासी युवती अनीता मौरी ने. थांदला ब्लॉक के एक छोटे से गांव शिवगढ़ मोहड़ा की रहने वाली अनीता मौर्य को नौकरी नहीं मिली तो उसने खुद आत्मनिर्भर बनने की ठानी और खुद का रोजगार शुरू किया. अनीता को मुर्गी पालन का कारोबार इतना भाया कि उसने 3 सालों में इससे लाखों रुपए की आमदनी कर ली. इतना ही नहीं अनीता झाबुआ जिले में सबसे बड़ी कड़कनाथ मुर्गे की विक्रेता के रूप में उभरती जा रही हैं. अनीता ने झाबुआ के बैतूल-अहमदाबाद नेशनल हाइवे पर कड़कनाथ का व्यापार 3 साल पहले महज 5 मुर्गों के साथ शुरू किया था और आज अनीता के पास 600 से अधिक कड़कनाथ मुर्गे-मुर्गियां हैं.
झाबुआ जिले की सबसे बड़ी होल सेलर अनीता
अपनी अथक मेहनत और कड़े परिश्रम के चलते अनीता मौर्य आज झाबुआ जिले में सबसे बड़ी होल सेलर और रिटेलर बन गई हैं. शुरू में परिवार के लोगों को अनीता का मुर्गी पालन का काम पसंद नहीं आया. लेकिन अपनी इच्छा शक्ति के चलते अनीता ने परिवार को भी मना लिया और देखते ही देखते 3 सालों में अनीता के पास कड़कनाथ का इतना बड़ा कुनबा बन गया जितना जिले में कहीं नहीं है.
कभी किराए में ली थी छोटी दुकान
अनीता ने बैतूल अहमदाबाद नेशनल हाइवे पर एक छोटी सी टफरी किराए से ली और वहां से कड़कनाथ का व्यापार किया. सुबह शाम इन मुर्गों का देखरेख करना, कड़कनाथ के लिए दाना पानी के साथ वेक्सीनेशन का काम भी खुद ही करती हैं. झाबुआ जिले में पाए जाने वाली कड़कनाथ और देसी मुर्गों की ब्रीड खासी प्रचलित है. लेकिन अन्य प्रांत और स्थानों से आने वाले लोगों को झाबुआ का कड़कनाथ खूब लुभाता है. झाबुआ के कड़कनाथ में इम्यूनिटी पावर ज्यादा होने और कम कोलेस्ट्रॉल के चलते मांसाहारी लोग इसे ज्यादा पसंद करते हैं.