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10वीं फेल अनीता जो बन गई झाबुआ में कड़कनाथ की सबसे बड़ी होल सेलर, लेकिन ये हुआ कैसे - Tribal Anita Mauri

अपनी अथक मेहनत और कड़े परिश्रम के चलते अनीता मौर्य आज झाबुआ जिले में कड़कनाथ की सबसे बड़ी होल सेलर और रिटेलर बन गई हैं. शुरू में परिवार के लोगों को अनीता का मुर्गी पालन का काम पसंद नहीं आया. लेकिन अपनी इच्छा शक्ति के चलते अनीता ने परिवार को भी मना लिया और देखते ही देखते 3 सालों में अनीता ने अपने पास कड़कनाथ का इतना बड़ा कुनबा बना लिया जितना जिले में कहीं नहीं है.

Trading of kadaknath cock
कड़कनाथ मुर्गा का व्यापार

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Published : Nov 13, 2020, 7:12 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 9:45 PM IST

झाबुआ।कहते हैं जहां चाह हो वही राह बन जाती है, कुछ ऐसा ही कर दिखाया है आदिवासी युवती अनीता मौरी ने. थांदला ब्लॉक के एक छोटे से गांव शिवगढ़ मोहड़ा की रहने वाली अनीता मौर्य को नौकरी नहीं मिली तो उसने खुद आत्मनिर्भर बनने की ठानी और खुद का रोजगार शुरू किया. अनीता को मुर्गी पालन का कारोबार इतना भाया कि उसने 3 सालों में इससे लाखों रुपए की आमदनी कर ली. इतना ही नहीं अनीता झाबुआ जिले में सबसे बड़ी कड़कनाथ मुर्गे की विक्रेता के रूप में उभरती जा रही हैं. अनीता ने झाबुआ के बैतूल-अहमदाबाद नेशनल हाइवे पर कड़कनाथ का व्यापार 3 साल पहले महज 5 मुर्गों के साथ शुरू किया था और आज अनीता के पास 600 से अधिक कड़कनाथ मुर्गे-मुर्गियां हैं.

कड़कनाथ मुर्गे का व्यापार

झाबुआ जिले की सबसे बड़ी होल सेलर अनीता

अपनी अथक मेहनत और कड़े परिश्रम के चलते अनीता मौर्य आज झाबुआ जिले में सबसे बड़ी होल सेलर और रिटेलर बन गई हैं. शुरू में परिवार के लोगों को अनीता का मुर्गी पालन का काम पसंद नहीं आया. लेकिन अपनी इच्छा शक्ति के चलते अनीता ने परिवार को भी मना लिया और देखते ही देखते 3 सालों में अनीता के पास कड़कनाथ का इतना बड़ा कुनबा बन गया जितना जिले में कहीं नहीं है.

कभी किराए में ली थी छोटी दुकान

अनीता ने बैतूल अहमदाबाद नेशनल हाइवे पर एक छोटी सी टफरी किराए से ली और वहां से कड़कनाथ का व्यापार किया. सुबह शाम इन मुर्गों का देखरेख करना, कड़कनाथ के लिए दाना पानी के साथ वेक्सीनेशन का काम भी खुद ही करती हैं. झाबुआ जिले में पाए जाने वाली कड़कनाथ और देसी मुर्गों की ब्रीड खासी प्रचलित है. लेकिन अन्य प्रांत और स्थानों से आने वाले लोगों को झाबुआ का कड़कनाथ खूब लुभाता है. झाबुआ के कड़कनाथ में इम्यूनिटी पावर ज्यादा होने और कम कोलेस्ट्रॉल के चलते मांसाहारी लोग इसे ज्यादा पसंद करते हैं.

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काला कड़कनाथ है खास

कड़कनाथ अपनी बनावट के चलते पूरे देश में जाना जाता है. काले रंग का कड़कनाथ न सिर्फ ऊपर से बल्कि भीतर से भी काला ही होता है, लिहाजा लोगों की दिलचस्पी इसमें बनी रहती है. कड़कनाथ की डिमांड होने के चलते अनीता सीहोर, गुजरात के मेहसाणा, आंध्र प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में भी थोक में कड़कनाथ मुर्गे की सप्लाई करती हैं. इस कारोबार से उसकी रोज की आमदनी दो से तीन हजार तक होती है.

अब बिजनेस फैलाना है लक्ष्य


अनीता मौर्य ने अपने खर्च पर कड़कनाथ का इतना बड़ा कुनबा तैयार कर लिया है कि वह इससे न सिर्फ आर्थिक रूप से सशक्त होती जा रही हैं, बल्कि परिवार के खर्च भी वहन कर रही हैं. अनीता आने वाले दिनों में इस व्यवसाय को और बड़ा करने की सोच रही हैं. जिसके लिए वह सरकारी कड़कनाथ कुक्कड़ केंद्र , केवीके और अन्य फार्म हाउस का दौरा भी कर चुकी हैं.फिलहाल अनीता ने किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं लिया. अगर शासन-प्रशासन चाहे तो अनीता को आत्मनिर्भर भारत के तहत सरकारी कुक्कुट पालन योजना के अंतर्गत किसी योजना का लाभ देकर उसके व्यवसाय को बड़ा कर सकती है. ताकि अनीता ना सिर्फ झाबुआ जिले की कड़कनाथ के एक ब्रांड एंबेसडर बनकर उभर सके बल्कि प्रदेश के अन्य भागों में भी अनीता अपने दम पर कड़कनाथ उत्पादक के रूप में जानी जाए.

Last Updated : Nov 13, 2020, 9:45 PM IST

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