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युवा कारोबारियों की सराहनीय पहल, अपने खर्चे पर बेरोजगार महिलाओं को दे रहे सिलाई की ट्रेनिंग - export of garments

जिले के कुछ युवा कारोबारियों ने मिलकर अपने खर्चे पर बेरोजगार महिलाओं को रहे शर्ट-पैंट और सूट सिलने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. ट्रेनिंग के बाद अब ये महिलाऐं 5 सौ रूपये दिन की कमाई कर सकती हैं, इससे उनके आर्थिक विकास के रास्ते खुलेंगे. ट्रेनिंग लेने आठवीं नवमी से लेकर ग्रेजुएट महिलाएं भी पहुंची.

ट्रेनिंग केन्द्र

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Published : Jun 6, 2019, 7:14 PM IST

जबलपुर। जिले के युवा कारोबारियों ने मिलकर सराहनीय पहल की है, उन्होंने जबलपुर की लगभग 2 सौ महिलाओं को शर्ट, पैंट और सूट सिलने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. अपने खर्चे पर महिलाओं को इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग देने वाले युवा कारोबारियों का मानना है कि सुई धागे पर काम करने वाली महिलाएं रेडीमेड सूट बना सकेंगी. ट्रेनिंग के बाद अब ये महिलाऐं 5 सौ रूपये प्रतिदिन की कमाई कर सकती हैं.

सिलाई की ट्रेनिंग महिलाऐं

जबलपुर गारमेंट इंडस्ट्री का बड़ा हब है, यहां सलवार सूट बड़ी तादाद में बनाए जाते हैं जो भारत के कई राज्यों के अलावा श्रीलंका, नेपाल और वर्मा जैसे कई देशों में निर्यात भी किए जाते हैं. सलवार सूट बनाने का काम जबलपुर के आम कारीगरों को और महिलाओं को आता है, लेकिन इस काम में जरूरत से ज्यादा लोग और मेहनताना बेहद कम होने की वजह से लोगों को पर्याप्त काम नहीं मिल पाता है.

कारीगरों की इसी समस्या को ध्यान में रखकर युवा कारोबारियों ने महिलाओं को ट्रेनिंग देना शुरू किया. युवा कारोबारी सरल जैन ने बताया कि अभी तक उन्हें अपने रेडीमेड कपड़े सिलवाने के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार से कारीगरों को बुलाना पड़ता था, लेकिन जबलपुर में बेरोजगार महिलाओं के पास कोई काम नहीं था. एक सरकारी ट्रेनिंग में इन युवाओं की नजर महिलाओं पर पड़ी और ट्रेनिंग का यह सिलसिला शुरू हो गया.

ट्रेनिंग लेने आठवीं नवमी से लेकर ग्रेजुएट महिलाएं भी पहुंची और अब सभी को उम्मीद है कि वह 6 हजार से लेकर 20 हजार रुपए महीना तक कमा पाएंगी. महिलाओं का कहना है कि सरकारी सेक्टर में नौकरी नहीं है और कम पढ़े लिखे लोगों के लिए तो निजी क्षेत्र में भी नौकरी के अवसर कम ही हैं. ऐसे में यदि उन्हें हुनर सीखने का मौका मिल रहा है तो इससे उनके आर्थिक विकास के रास्ते खुले हैं.

जो काम इन युवाओं ने किया वह काम सरकार के द्वारा भी किया जा सकता था, लेकिन सरकारी अधिकारियों को ऐसी छोटी बातें समझ में नहीं आती. जबलपुर उद्योग विभाग में स्मार्ट सिटी खादी ग्राम उद्योग के साथ और भी दूसरे महकमें हैं, जो ट्रेनिंग के नाम पर करोड़ों रुपया बर्बाद कर रहे हैं.

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