मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

स्व-सहायता समूह की महिलाओं पर लगा कोरोना ग्रहण, ठप हुआ आय का जरिया

इन दिनों जबलपुर के स्व-सहायता समूह की महिलाएं मायूस हैं. उनकी मायूसी की वजह है कोरोना संक्रमण के कारण मेहनत से बनाए गए खाद्य सामाग्री का नहीं बिकना. कोरोना काल में उनका जीवन काफी हद तक प्रभावित हो गया है. पढ़ें पूरी ख़बर...

women self help group
आय का जरिया ठप

By

Published : Nov 9, 2020, 2:48 PM IST

जबलपुर।देशभर में अनलॉक 5.0 चल रहा है. लॉकडाउन के दौरान गिरी अर्थव्यवस्था और प्रभावित हुए व्यापारों को पटरी पर लाने के लिए चरण-दर-चरण अनलॉक किया गया, ताकि एक बार फिर देश की अर्थव्यस्था पटरी पर लौट आए. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. देश भर में जो महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही थीं, बल्कि एक समूह बनकर एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ थीं, उन पर भी अब कोरोना संक्रमण का ग्रहण लग गया है, क्योंकि कोरोना वायरस के कारण उनका व्यापार ठप हो गया है.

आय का जरिया ठप

आत्मनिर्भर बनने की पहल

शहर की कुछ महिलाओं ने जब में आत्मनिर्भर बनने की ठानी तो उनके लिए रास्ते खुद-ब-खुद बनते चले गए. करीब 50 से ज्यादा महिलाओं ने मिलकर एक समूह बनाया और खुद के दम पर ही महिलाओं ने घर पर ही अचार, पापड़, बरी और मुरब्बा बनाना शुरू किया. महिलाओं के समूह द्वारा बनाए गए अचार-पापड़ को लोगों ने खासा पसंद किया और सिर्फ कुछ ही दिनों में महिलाओं का व्यवसाय निकल पड़ा. शुरूआती कामयाबी से महिलाओं को लगा कि अब वे आत्मनिर्भर हो गई हैं, लेकिन कोरोना ग्रहण ने उनकी मुस्कुराहट मायूसी में बदल दी.

ये भी पढ़ें-देसी ठंडा जो भगाए गर्मी और बनाए स्वस्थ, बुंदेलखंड के देसी पेय के आगे नामी कोल्ड ड्रिंक्स भी पस्त

स्व-सहायता समूह पर कोरोना ग्रहण

कोरोना महामारी के कारण एक तरफ जहां सामान खरीदने में महिलाओं को परेशानियों का सामना पड़ा, वहीं दूसरी तरफ संक्रमण के डर से लोगों ने उनसे सामान खरीदना बंद कर दिया. कोरोना ग्रहण इन महिलाओं पर ऐसा लगा कि अब उन्हें आर्थिक तंगी के साथ कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना संक्रमण ने उनके व्यवसाय को पूरी तरह से ठप कर दिया है.

महिलाओं पर बढ़ा कर्ज का बोझ

समूह बनाकर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए सहायता समूह की महिलाओं ने बाजार से कुछ कर्ज भी लिया था. कर्ज लेकर महिलाओं ने बड़ी मात्रा में अचार, मुरब्बा, पापड़ बनाकर तैयार भी कर लिया, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन ने इन महिलाओं के द्वारा तैयार किए गए माल को बिकने ही नहीं दिया, जिसके चलते महिलाओं को न सिर्फ बना हुआ माल खराब होने से घाटा हुआ, बल्कि उनके ऊपर एक कर्ज का बोझ भी आ गया. अब महिलाओं के सामने तैयार माल को बेचने के साथ-साथ कर्ज चुकाने की भी समस्या खड़ी हुई है.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: मशरूम उत्पादन ने बदली किस्मत, कभी घर से बाहर न निकलने वाली महिलाएं अब कमा रहीं लाखों

महिलाएं लगा रही मदद की गुहार

स्व सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि लॉकडाउन के पहले तक सब कुछ अच्छा-खासा चल रहा था. लेकिन कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा, तो समूह की मेहनत पूरी तरह से बर्बाद हो गई. आज हालात यह बन गए हैं कि महिलाओं का ये समूह बंद होने की कगार पर पहुंच गया है.

जिला प्रशासन कर रहा महिलाओं की मदद

जिला कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस के चलते बंद हुए स्व-सहायता समूह को फिर से स्थापित करने के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार लगातार मदद कर रही है. इस समय तो इन समूह पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कलेक्टर की मानें तो करीब चार हजार पांच सौ समूह अब भी निरंतर राज्य सरकार की मदद के साथ चल रहे हैं और उनके लिए लगातार फंड की व्यवस्था की जा रही है.

ये भी पढ़ें-इस बार गोबर के दीए से रोशन होगी दीवाली, ग्रामीणों के लिए बढ़ेगा रोजगार का अवसर

कोरोना काल में अब समूह करेगा स्कूल यूनिफार्म तैयार

कोरोना काल ने स्व सहायता समूह को काफी हद तक प्रभावित किया है. लिहाजा राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि कोविड काल में स्व सहायता समूह स्कूल यूनिफार्म बनाए. राज्य सरकार ने प्रदेशभर के सभी स्व-सहायता समूह से स्कूल ड्रेस बनवाने का निर्णय लिया है, जिसके लिए राज्य सरकार ने स्व सहायता समूहों को चिन्हित करना भी शुरू कर दिया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details