जबलपुर।देशभर में अनलॉक 5.0 चल रहा है. लॉकडाउन के दौरान गिरी अर्थव्यवस्था और प्रभावित हुए व्यापारों को पटरी पर लाने के लिए चरण-दर-चरण अनलॉक किया गया, ताकि एक बार फिर देश की अर्थव्यस्था पटरी पर लौट आए. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. देश भर में जो महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही थीं, बल्कि एक समूह बनकर एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ थीं, उन पर भी अब कोरोना संक्रमण का ग्रहण लग गया है, क्योंकि कोरोना वायरस के कारण उनका व्यापार ठप हो गया है.
आत्मनिर्भर बनने की पहल
शहर की कुछ महिलाओं ने जब में आत्मनिर्भर बनने की ठानी तो उनके लिए रास्ते खुद-ब-खुद बनते चले गए. करीब 50 से ज्यादा महिलाओं ने मिलकर एक समूह बनाया और खुद के दम पर ही महिलाओं ने घर पर ही अचार, पापड़, बरी और मुरब्बा बनाना शुरू किया. महिलाओं के समूह द्वारा बनाए गए अचार-पापड़ को लोगों ने खासा पसंद किया और सिर्फ कुछ ही दिनों में महिलाओं का व्यवसाय निकल पड़ा. शुरूआती कामयाबी से महिलाओं को लगा कि अब वे आत्मनिर्भर हो गई हैं, लेकिन कोरोना ग्रहण ने उनकी मुस्कुराहट मायूसी में बदल दी.
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स्व-सहायता समूह पर कोरोना ग्रहण
कोरोना महामारी के कारण एक तरफ जहां सामान खरीदने में महिलाओं को परेशानियों का सामना पड़ा, वहीं दूसरी तरफ संक्रमण के डर से लोगों ने उनसे सामान खरीदना बंद कर दिया. कोरोना ग्रहण इन महिलाओं पर ऐसा लगा कि अब उन्हें आर्थिक तंगी के साथ कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना संक्रमण ने उनके व्यवसाय को पूरी तरह से ठप कर दिया है.
महिलाओं पर बढ़ा कर्ज का बोझ
समूह बनाकर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए सहायता समूह की महिलाओं ने बाजार से कुछ कर्ज भी लिया था. कर्ज लेकर महिलाओं ने बड़ी मात्रा में अचार, मुरब्बा, पापड़ बनाकर तैयार भी कर लिया, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन ने इन महिलाओं के द्वारा तैयार किए गए माल को बिकने ही नहीं दिया, जिसके चलते महिलाओं को न सिर्फ बना हुआ माल खराब होने से घाटा हुआ, बल्कि उनके ऊपर एक कर्ज का बोझ भी आ गया. अब महिलाओं के सामने तैयार माल को बेचने के साथ-साथ कर्ज चुकाने की भी समस्या खड़ी हुई है.