जबलपुर।ओडिशा से छत्तीसगढ़ होते हुए जबलपुर पहुंचे दो हाथियों में से एक की मौत हो गई है, जिसमें वन विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुए दो शिकारियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि अन्य की तलाश अभी भी की जा रही है. इस दौरान गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ की गई, जिसमें उन्होंने बताया कि जंगली सुअर का शिकार करने के लिए खेत में बिजली के तार बिछाए गए थे जिसकी चपेट में हाथी आ गया.
मुंह के बल गिरा था हाथी
जानकारी के मुताबिक हाथी की करंट से मौत हो गई थी, जिसकी वजह से वह मुंह के बल गिर गया था. वहीं इस मामले में टीम ने रात में ही पंचम आदिवासी और मुकेश पटेल को गिरफ्तार कर लिया था. इस दौरान उनसे पूछताछ भी की गई. जिसमें दोनों ने बिजली के तार बिछाए जाने स्वीकारा था, जिन्हें नहीं पता था कि, इसमें हाथी फंस जाएंगे.
हाथी की झुलस गई सूंड
मृतक हाथी का पोस्टमार्टम कराने के बाद जांच में पता चला कि उसकी सूंड में करंट लगा था. करंट लगने के बाद हाथी लगभग 200 मीटर जाकर गिरा था. उस समय दोनों ही हाथी साथ-साथ चल रहे थे. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि दूसरा हाथी भी करंट की चपेट में ना आ गया हो.
क्या था पूरा मामला
दरअसल ओडिशा के जंगल से भटककर अप्रैल में 20 हाथियों का झुंड कान्हा नेशनल पार्क में आया था. यहां से सिवनी के रास्ते से हाथी निकल कर मंडला के जंगल में सितंबर माह में पहुंचे थे, जो दो महीने तक वहीं रहे. इसके बाद दो हाथी जबलपुर की ओर निकल आए, जबकि अन्य हाथी वापस ओडिशा की तरफ लौट गए. 5 दिनों पहले दोनों हाथियों ने शहर के बरेला क्षेत्र में प्रवेश किया था, जो बुधवार को बरगी और गुरुवार को मंगेली में दिखे थे. हालांकि शुक्रवार को एक हाथी का शव मोहास में नहर किनारे मिला था, जबकि दूसरे हाथी का पता नहीं चल पाया है.
सागर में होगी अब बिसरा की जांच
स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फारेंसिक लैब में हाथी की मौत को लेकर कई तरह के रिसर्च किए जाएंगे. साथ ही बिसरा जांच सागर लैब को भेजे जाएंगे. इससे इस बात का पता लगाया जाएगा कि मौत की वजह सिर्फ करंट ही था या फिर उसे कोई जहरीला पदार्थ खिलाया गया था.
दूसरे हाथी की तलाश में जुटी वन विभाग की टीम
दूसरे हाथी के करीब 36 घंटे से गायब होने के बाद से वन विभाग परेशान है. आसपास के कई गांवों में हाथी की जानकारी ली जा रही है. वन विभाग ने 10-10 लोगों की कुल 10 टीमें बनाई हैं, जो जंगल में हाथी की सर्चिंग कर रहे हैं. हालांकि दिक्कत वाली बात यह है कि हाथी के फुट प्रिंट भी वन विभाग को नहीं मिल पा रहे हैं. वन्य प्राणी विशेषज्ञों का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही की वजह से एक जंगली हाथी की जान चली गई.