जबलपुर।हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि मृत विवाह अपने आप में मानसिक क्रूरता है. नोटिस तामील होने के बावजूद महिला की तरफ से कोई जवाब पेश नहीं किया गया. यह आचरण संकेत देता है कि अनावेदिका को पति के साथ रहने में कोई रुचि नहीं है. याचिकाकर्ता सुदीप्तो शाह की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उसका विवाह 12 जुलाई 2006 को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में हुआ था. विवाह के बाद पत्नी ने सहवास नहीं करने का एकतरफा निर्णय ले लिया. पत्नी ने बताया कि वह किसी अन्य व्यक्ति से प्यार करती है और परिजनों के दबाव में उसके साथ विवाह हुआ है.
एक बार भी संबंध नहीं बने :याचिका में कहा गया कि वह 23 जुलाई 2006 को पत्नी के लेकर अपने घर भोपाल आया था. इसके बाद 28 जुलाई 2006 को यूएसए चला गया. पत्नी के एकतरफा निर्णय के कारण दोनों के बीच अभी तक शारीरिक संबंध स्थापित नहीं हुए हैं. इसलिए विवाह पूर्ण रूप से संपन्न नहीं हुआ है. याचिका में कहा गया था कि यूएसए जाने के बाद पत्नी ने उसे ई-मेल में माध्यम से आत्महत्या करने की धमकी दी थी. इसके बाद सितंबर 2006 में अपने मायके चली गयी. पत्नी ने साल 2013 में प.बंगाल में उसके तथा माता-पिता के खिलाफ दहेज एक्ट सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज करवाया था. जिसके कारण उसके माता-पिता को 23 दिन तक जेल में रहना पड़ा था. इसके बाद दोनों पक्षों में आपसी समझौते के तहत तलाक हुआ था और उसके स्त्रीधन के साथ भरण-पोषण के लिए 10 लाख रुपये प्रदान किये.