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अब तक संस्कारधानी को नहीं मिल पाई साइंस सेंटर की सौगात, 8 साल पहले हुई थी घोषणा

प्रदेश की संस्कारधानी में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए आज से 8 साल पहले साइंस सेंटर और तारामंडल बनाने की मांग उठाई गई थी. लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी अब तक शहर में एक ऑफिस नहीं खुल पाया है. आखिर क्यों साइंस सेंटर निर्माण में इतनी टालमटोल हो रही हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Nov 30, 2020, 2:14 AM IST

Jabalpur Science Center
नहीं मिल पाई साइंस सेंटर की सौगात

जबलपुर।दिनोंदिन दुनिया विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है. ऐसे में सबके साथ कदम से कदम मिलाने के लिए जरुरी है किविज्ञान में रुचि रखने वाले और विज्ञान के छात्रों को एक अच्छा प्लेटफॉर्म मिले. इसी सोच के साथ आठ साल पहले जबलपुर शहर में एक 'साइंस सेंटर' बनाने की घोषणा की गई थी. लेकिन आज तक ये सिर्फ एक घोषणा रह गई है.

नहीं मिल पाई साइंस सेंटर की सौगात

सौगात पर राजनीति का डेरा

प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में एक रीजनल साइंस सेंटर बनाने की मांग सांसद राकेश सिंह ने आज से 8 साल पहले केंद्र सरकार के सामने रखी थी. केंद्र सरकार से सहमति मिलने के बाद भेड़ाघाट के पास साइंस सेंटर बनाने के लिए जमीन निर्धारित की गई थी. यहां साइंस सेंटर के साथ एक तारामंडल भी बनाया जाना है. लेकिन ये साइंस सेंटर और तारामंडल की सौगात पर राजनीति ने डेरा जमा लिया.

कमलनाथ सरकार पर लगा रहे आरोप

राज्य सरकार की ओर से भेड़ाघाट में 7 एकड़ जमीन साइंस सेंटर के नाम पर दी गई थी. इसके निर्माण के लिए केंद्र सरकार की ओर से पैसा दिया जाना है. प्रदेश में सरकार बदलते और कमलनाथ की सरकार आते ही जबलपुर उत्तर से विधायक विनय सक्सेना ने इसे भेड़ाघाट की जगह शहर में रानीताल स्टेडियम के बनवाने की चाह जाहिर की थी. ऐसे में विधायकों के बीच रस्साकाशी चलती रही और साइंस सेंटर का काम टलता गया. आखिरकार अब एक बार फिर साइंस सेंट को भेड़ाघाट में ही बनाने के लिए मंजूरी दे दी गई है.

सेंटर में होगा इनोवेशन हब

साइंस सेंटर में एक इनोवेशन हब होगा. इसमें स्टूडेंट या कोई भी टूरिस्ट अपनी मर्जी के इनोवेशन कर सकता है. इसके लिए जरूरी संसाधन भी वहां मौजूद रहेंगे. एक डिस्कवरी हॉल होगा, जहां कुछ अच्छे इनोवेशन को दूसरों की जानकारी के लिए प्रदर्शित किया जाएगा. हॉल ऑफ फेम में दुनिया के जाने-माने वैज्ञानिकों के चित्र लगेंगे, ताकि विज्ञान से जुड़े लोग महान वैज्ञानिकों को जान सकें. इनोवेशन हब में साइंस की विभिन्न विधा जैसे फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बायोलॉजी, रोबोटिक्स, कम्प्यूटर साइंस, कबाड़ से जुगाड़ और तोड़-फोड़ सेक्शन होगा. जहां स्टूडेंट्स विशेषज्ञों की मौजूदगी में प्रेक्टिकल करेंगे.

शहर में बढ़ेंगा पर्यटन

शहर को साइंस सेंटर की सौगात मिलने से यहां पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. साथ ही विज्ञान में रुचि रखने वाले लोग बहुत कुछ सीख सकेंगे. भेड़ाघाट में बनने के कारण यहां आने वाले पर्यटकों और खासतौर पर बच्चों के लिए यह एक रोचक जगह होगी, जहां बच्चे विज्ञान के प्रयोग कर सकेंगे और तारा मंडल देख सकेंगे.

भूमिपूजन का इंतजार

साइंस सेंटर और तारामंडल की सौगात जबलपुर के हिस्से में आ चुकी है. केंद्र सरकार ने पहले ही प्रोजेक्ट को मंजूरी के साथ ही फंड जारी कर दिया था. अब राज्य सरकार ने भी इसे पसंद कर लिया है. अब सिर्फ इंतजार है तो सेंटर के भूमिपूजन का. मध्य प्रदेश साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग ने भेड़ाघाट में साइंस सेंटर बनाने के लिए राज्य शासन से मंजूरी मांगी है.

जल्द शुरू हो सकता है काम

कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश प्रमुख सचिव के पास इस प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन हुआ है. उस दौरान इस प्रोजेक्ट को पसंद किया गया है. विभागीय सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री कमलनाथ की तरफ से भी प्रोजेक्ट पर सैद्धांतिक सहमति दी गई है. अब सिर्फ प्रस्ताव पर विभाग की मुहर लगने का इंतजार है. ऐसे में अब जबलपुर की जनता की उम्मीदें सांइस सेंटर को लेकर बढ़ गई हैं. विज्ञान से जुड़े लोगों के लिए ये बेहद रोचक स्थल साबित होगा.

3 साल में तैयार हो जाएगा साइंस सेंटर

अब मंजूरी मिलने के बाद अगर सेंटर बनने का काम रफ्तार पकड़े और सही ढ़ंग से बनने को तीन साल में संस्कारधानी को साइंस सेंटर की सौगात मिल सकती है. मध्य प्रदेश सरकार ने प्रोजेक्ट पर तेजी दिखाई तो अगले तीन साल में साइंस सेंटर और तारा मंडल बनकर तैयार हो सकता है. फिलहाल अभी प्रदेश में उज्जैन और भोपाल में टूरिस्ट साइंस सेंटर को देखने पहुंचते हैं.

जानकारी के मुताबिक तारामंडल बनाने के लिए 2017 में घोषणा हुई थी. नगर परिषद भेड़ाघाट ने भटिया देवी भड़पुरा में करीब 7 एकड़ जमीन आवंटित की थी. तारामंडल के लिए 15.20 करोड़ की लागत से साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट का निर्माण होना है. इसमें केंद्र और राज्य सरकार से संयुक्त राशि खर्च होनी है.

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