जबलपुर।वंदे भारत एक्सप्रेस का इंतजार जबलपुर के लोग बेसब्री से कर रहे थे. जब यह एक्सप्रेस जबलपुर स्टेशन पर पहुंची तो बड़ी तादाद में आम आदमियों के साथ स्कूल के बच्चे और भारतीय जनता पार्टी के छोटे-बड़े कई नेता स्टेशन पर इसका स्वागत करने पहुंचे. कुछ लोग इसके साथ फोटो खिंचवाना चाहते थे, कुछ इसको अंदर से देखना चाहते थे, लेकिन दृष्टि बाधित राजा चौरसिया इसे छूकर महसूस करना चाहता था.
दृष्टि बाधित राजा का अनुभव: दृष्टि बाधित राजा चौरसिया ट्रेन में अक्सर सफर करता है. राजा चौरसिया ने यह सुना था कि जबलपुर में भी 27 जून को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन पहुंचने वाली है. समय से ठीक पहले 2:30 बजे राजा चौरसिया जबलपुर स्टेशन पहुंच गया था और जैसे ही ट्रेन जबलपुर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 6 पर पहुंची, तब राजा भीड़ से थोड़ा सा हटकर इस गाड़ी को टटोलने लगा. राजा गाड़ी के अंदर जाने की कोशिश कर रहा था, अभी तक राजा जिन ट्रेनों में चढ़ा था उनके दरवाजे की बनावट अलग थी, लेकिन वंदे भारत में दरवाजे स्लाइड करने वाले लगे हुए हैं, इसलिए उसे दरवाजे को समझने में थोड़ा सा अटपटा महसूस हुआ. राजा जब भीतर चला तो जिस कंपार्टमेंट में वह गया, वहां बिजली के बोर्ड लगे हुए थे. उनमें से कुछ बोर्ड खुले हुए थे. सामान्य तौर पर रेलगाड़ियों में ऐसे इलेक्ट्रिक बोर्ड नहीं होते. यहां यात्रियों ने राजा को उन्हें छूने से रोक दिया. इसके बाद राजा सीट पर पहुंचा तो यहां भी उसे ब्रेल लिपि में सीट नंबर खोजने में थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा. सामान्य तौर पर ट्रेनों में हर सीट पर जो नंबर लिखा रहता है. उसमें ब्रेल में भी सीट नंबर होता है, जो बंदे भारत एक्सप्रेस में नहीं था, लेकिन रेलगाड़ी के बाकी अनुभव को राजा ने बताया कि गाड़ी का एयर कंडीशन बहुत अच्छा है और सीटें बहुत कंफर्टेबल है. राजा के अलावा भी जो आम यात्री ट्रेन में बैठे थे. उनके लिए यह ट्रेन सपनों की रेलगाड़ी जैसी थी.